नई दिल्ली. भेड़ों ऐसे पशु हैं जिनसे से सदियों से इंसानों को भोजन व कपड़ा मिलता आ रहा है. टिकाऊ और गर्म कपड़े बनाने के लिए अभी तक और दूसरी ऐसी वस्तु नहीं निकली हैं, जिसे ऊन के स्थान पर काम में लाया जाता है. जबकि भेड़ की मेगनियों से भूमि उपजाऊ बनती हैं और इसका प्रभाव भूमि में काफी समय तक रहता है. भेड़ पालन मीट के लिए भी किया जाता है. इसका मीट बेहद ही पौष्टिक होता है. भेड़ बकरियों की तरह पेड़ की बढ़वार को कोई हानि नहीं पहुंचाती हैं.
एक अनुमान मुताबिक विश्व में भेड़ की 200 नस्लें हैं और विभिन्न भेड़ की नस्लों को चार हिस्सों में बांटा गया है. एक बारीक ऊन वाली मेरिनों और उसकी वंशज भेड़ें, यूरोपीय और ब्रिटिश देशों की मध्यम ऊन वाली भेड़ें, ब्रिटेन की बड़ी चमकदार ऊन वाली भेड़े और एशियाई देशों की कालीन जैसी ऊन वाली भेड़ें. भेड़ पालन के दौरान अगर भेड़ पालक अगर कुछ बातों का ख्याल रखें तो उन्हें खूब फायदा मिलेगा. आइए इस आर्टिकल में कुछ बातों जानते हैं.
- पानी की नांद: भेड़ों के स्वेच्छानुसार पानी पीने के लिए पानी की नांद का होना आवश्यक है. भेड़ों को किटाणु रहित स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाना चाहिए. नांद को समय-2 पर साफ करें तथा माह में एक बार पानी में चूना डालें. ताकि पानी साफ रहे और भेड़ों को कैल्शियम मिले.
- चारा, दाना हेतु पात्र: भेड़ों को चराई के अतिरिक्त बाड़े में भी चारा दाना देने की आवश्यकता होती है. चारे दाने के पात्रों को थोड़ी ऊंचाई पर रखना चाहिए. ताकि चारे दाने की हानि न हो व भेड़े उसमें मल मूत्र न कर सकें. एक व्यस्क भेड़ को खाने के लिए 40-50 सेमी व बच्चे के लिए 30-35 सेमी स्थान की आवश्यकता होती है.
- भण्डार गृह: भेड़ आवास के साथ-साथ भण्डार गृह होना भी आवश्यक है. जिसमे चारा, दाना तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं रखी जा सके.
- डिपिंग टैंक:बाड़े के आसपास भेड़ों को नहलाने के लिए जल कुण्ड (डिपिंग टैक) का होना अति आवश्यक है. जिससे कि भेड़ों को कम से कम वर्ष में दो बार नहलाया जा सके और उन्हें बाह्य परजीवियों से छुटकारा मिले.
- खुर स्नान: बाड़े के प्रवेश द्वारा पर पांच फुट चौड़ा चार फुट लम्बा व छः इंच गहरा पक्का खुर स्नान का स्थान होना चाहिए. जिसको वर्षा के पूर्व के दिनों में दवा (नीला थोथा) के पानी से भरकर भेड़ों को उससे अन्दर व बाहर भेजना चाहिए जिससे खुर पकने की शिकायत दूर होगी.
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