नई दिल्ली. आपने अक्सर टीवी पर अंडे का एक विज्ञापन देखा होगा. इस विज्ञापन की पंच लाइन के तौर पर कहा जाता है कि ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’. हालांकि देश में जरूर अलग—अलग वजहों से इस पंच लाइन का उतना असर नहीं पड़ रहा है लेकिन विदेशों में जरूर लोग अंडे को अपने आहार में शामिल कर रहे हैं. या फिर कहा जाए कि इस विज्ञापन का असर विदेशों में ज्यादा हो रहा है. दरअसल, विदेशों में भारतीय अंडों की डिमांड लगातार बढ़ रही है. जबकि रूस और यूक्रेन युद्ध का भारतीय पोल्ट्री मार्केट को बड़ा फायदा मिला कि कई दूसरे देश जैसे श्रीलंका और मलेशिया ने पहली बार भारत अंडा खरीदने के लिए भारत का रुख किया. वहीं अंडा उत्पादन के मामले में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है. जबकि पहले और दूसरे पर चीन और अमेरिका का नंबर आता है.
अन्य कई देशों के मुकाबले भारतीय अंडा सस्ता माना जाता है. यही वजह है कि भारत ने साल 2022-23 में अंडा एक्सपोर्ट में कई रिकॉर्ड कामय कर दिए थे. भारत चिकन के मामले में जल्द इंटरनेशनल मार्केट में छलांग लगाने की तैयारी में है. जबकि नाम मात्र के लिए ही चिकन मीट भारत से एक्सपोर्ट किया जाता है. गौरतलब है कि साल 2021-22 में देश में 129.60 बिलियन अंडों का उत्पादन किया गया था. जिसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में सबसे ज्यादा अंडा उत्पादन करने वाले राज्यों में शामिल थे. ये सभी राज्य खुद की डिमांड पूरी करने के साथ ही दूसरे राज्यों को भी अंडा करने में आगे रहते हैं.
पिछले साल उत्पादन का बना रिकॉर्ड
डेयरी और पशुपालन मंत्रालय के आंकड़े ये बताने के लिए काफी है कि साल 2021-22 में देश में 129.60 बिलियन अंडों का उत्पादन हुआ था. जबकि देश में अंडा उत्पादन का आंकड़ा हर साल 6.5 से लेकर सात फीसदी बढ़ रहा है. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो अगर साल 2019-20 की बात करें तो देश में 114 बिलियन और 2020-21 में 122 बिलियन अंडों का उत्पादन किया गया था. वहीं देश में प्रति व्यक्ति सालाना 95 अंडों की जरूरत होती है. वहीं जापान में ये आंकड़ा 320 अंडे का है. जबकि भारत मतें अंडे को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, इसलिए इसकी खपत कम होती है.
दूसरे देशों के मुकाबले भारत में अंडा सस्ता
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर कहते हैं कि भारत से अक्सर अंडा एक्सपोर्ट होता है. खासतौर पर अरब देशों में भी भारत का अंडा एक्सपोर्ट होता है. जब मलेशिया भारत से अंडा खरीदने आया है तो इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ अंडों का सस्ता होना था. दूसरे देशों के मुकाबले भारत में उत्पादित होने वाले अंडे सस्ते हैं. क्योंकि यहां फीड सस्ती है. जबकि जिन सभी आइटम से फीड बनती है वो भारत में ही मिलते हैं. उन्हें इम्पोर्ट नहीं करना पड़ता है. लेबर वर्क भी सस्ता है. जबकि दूसरे देशों में दोनों ही चीजें महंगी होने के नाते अंडे महंगे हैं. गौरतलब है कि मलेशिया ने दिसम्बर 2022 से भारत से अंडा खरीदना शुरू किया था. उस समय मलेशिया ने 5 मिलियन और जनवरी में 10 मिलियन अंडा खरीदा था.
पोल्ट्री प्रोडक्ट की खरीद में ओमान की हिस्सेदारी 25.26 फीसदी
वहीं पोल्ट्री फार्मर मनीष शर्मा कहते हैं कि श्रीलंका ने भी भारत से अंडा खरीदना शुरू कर दिया है. अभी कम संख्या में अंडे खरीद रहा है. हालांकि अच्छी बात ये है कि श्रीलंका ने शुरूआत तो कर दी है। आगे बड़ी मात्रा में अंडा खरीदेगा. पहली बार श्रीलंका ने सैंपल के तौर पर 23 लाख अंडों की खरीदी की थी. उन्होंने कहा कि ओमान भारत से अंडे खरीदने वालों में बड़ा ग्राहक है. जबकि भारत से इंडोनेशिया भी खूब अंडे खरीदता है. एपीडा के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं. बता दें कि इसी साल जनवरी में पोल्ट्री प्रोडक्ट की खरीद में ओमान की हिस्सेदारी 25.26 फीसदी थी. जबकि इंडोनेशिया की 9.78, मालदीव की 8.49, यूएई की 6.26 और भूटान की 5.59 फीसदी रही थी.
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