नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार 19 मार्च को पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को मंजूरी दे दी है. इस सेक्टर में विकास के लिए सरकार अब एक हजार करोड़ रुपए ज्यादा खर्च करेगी. सरकार ने बछिया पालन केंद्र और आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए आरजीएम का पिटारा खोल दिया है. अगर 2021-22 से 2025-26 तक होने वाले कुछ खर्च को जोड़ दिया जाएगा तो तकरीबन 3400 करोड़ रुपए का खर्च किया जाएगा.
इसमें दो नई गतिविधियां जोड़ी गई हैं. कुल 15 हजार बछियों के लिए 30 आवास सुविधाओं के निर्माण के लिए काम करने वाली एजेंसियों को बछिया पालन केंद्रों की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत का 35 फीसदी एकमुश्त सहायता दी जाएगी. वहीं किसानों को उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. ताकि किसान द्वारा ऐसी खरीद के लिए दूध संघों, वित्तीय संस्थानों और बैंकों से लिए गए लोन पर 3 फीसदी ब्याज अनुदान दिया जाएगा. इससे उच्च उपज देने वाली नस्लों को बनाया जा सकेगा.
हुए हैं ये काम, दूध उत्पादन भी बढ़ा है
यह योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन की चल रही गतिविधियों को जारी रखने के लिए है. सीमेन केन्द्रों का सही करने, कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क, सांड उत्पादन कार्यक्रम का संचालन, लिंग आधारित वीर्य का उपयोग कर त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम, कौशल विकास, किसान जागरूकता, उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना सहित नवीन गतिविधियों के लिए सहायता, केन्द्रीय पशु प्रजनन फार्मों को सही करने तथा इनमें से किसी भी गतिविधि में मदद के पैटर्न में कोई परिवर्तन किए बिना केन्द्रीय पशु प्रजनन फार्मों को सुधार जाएगा. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के क्रियान्वयन तथा सरकार के अन्य प्रयासों से पिछले दस वर्षों में दूध उत्पादन में 63.55 फीसदी की वृद्धि हुई है. साथ ही प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता जो 2013-14 में 307 ग्राम प्रतिदिन थी, वह 2023-24 में बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई है. पिछले दस वर्षों में उत्पादकता में भी 26.34 फीसदी की वृद्धि हुई है.
8.39 करोड़ से ज्यादा पशुओं को किया एआई से गाभिन
जहां एआई कवरेज 50 फीसदी से कम था, आरजीएम के तहत राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी) देश भर के 605 जिलों में किसानों के दरवाजे पर मुफ्त कृत्रिम गर्भाधान (एआई) करता है. आज तक, 8.39 करोड़ से अधिक पशुओं को कवर किया गया है और 5.21 करोड़ किसानों को फायदा मिला है. प्रजनन में नवीनतम तकनीकी हस्तक्षेप को किसानों के दरवाजे तक लाने में भी आरजीएम सबसे आगे रहा है. राज्य पशुधन बोर्डों (एसएलबी) या विश्वविद्यालयों के तहत देश भर में कुल 22 इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं और 2541 से अधिक एचजीएम बछड़ों का जन्म हुआ है.
उत्पादकता बढ़ेगी और किसानों की इनकम भी
वहीं आत्मनिर्भर टेक्नोलॉजी में दो पथप्रदर्शक कदम हैं गौ चिप और महिष चिप, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और आईसीएआर राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) द्वारा विकसित स्वदेशी गोजातीय पशुओं के लिए जीनोमिक चिप्स और एनडीडीबी द्वारा विकसित गौ सॉर्ट स्वदेशी रूप से विकसित सेक्स सॉर्टेड वीर्य उत्पादन तकनीक. इस योजना से दूध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होगी, जिससे अंततः किसानों की आय में इजाफा होगा. यह बैल उत्पादन में व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रयासों और स्वदेशी गोजातीय जीनोमिक चिप्स के विकास के माध्यम से भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लों की सुरक्षा और संरक्षण पर केंद्रित है. इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत की गई पहलों के कारण इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक स्थापित तकनीक बन गई है. यह पहल न केवल उत्पादकता बढ़ाएगी बल्कि डेयरी से जुड़े 8.5 करोड़ किसानों की आजीविका में भी सुधार करेगी.











