नई दिल्ली.भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में शैक्षणिक परिषद की 69वीं बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें संस्थान के छात्रों के लिए नये पाठ्यक्रम आयोजित करने तथा नयी शिक्षा नीति को लागू करने सहित विभिन्न प्रस्ताव रखे गये. बता दें कि संस्थान की शैक्षणिक परिषद की बैठक बहुत महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है. जहां पर संस्थान अपनी भविष्य की योजनाओं बनाता है और पहले से चल रही योजनाओं की मॉनिटरिंग करता है.
बैठक में डा. दत्त ने कहा कि हमारे सम-विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति को लागू किया है तथा भारत सरकार की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य करने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि अमृतकाल का यह समय बहुत महत्वपूर्ण है. भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में हमारे विश्वविद्यालयों का भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी.
एजुकेशन हब विकसित करने का प्लान
डा. त्रिवेणी दत्त ने संस्थान के सम-विश्वविद्यालय द्वारा चलाये जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वर्ष 2023-24 में कुल 368 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है. बीवीएससी एंड एएच की सीटो को बढ़ाया है. इसके अलावा मानव संसाधन विकास/कौशल निर्माण के तहत 1061 प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न वोकेशनल कोर्स/सार्टिफिकेट तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षित किया है तथा संस्थान में छात्रों के लिए स्मार्ट क्लास रूम बनाये गये हैं. डा. दत्त ने कहा कि संस्थान भविष्य में केन्द्रीय भैंस अनुसधांन संस्थान तथा राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के सहयोग से हिसार में एजुकेशन हब विकसित करने जा रहा है.
छात्रों को मिलेगा व्यापार के साथ काम करने का अवसर
इसके अतिरिक्त आईवीआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी को मेगा या वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी विश्वविद्यालय में बदलने के लिए योजनाओं को संचालित किया जा रहा है. डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि संस्थान ने विभिन्न औघोगिक घरानों के साथ इंटरफेस मीट की है. तथा अनुबन्ध किये जा रहे हैं जिससे हमारे छात्रों को इन व्यापारों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हो सके. इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डा. एस.के. मेंदीरत्ता ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 तथा यूजीसी के दिशा निर्देशों को लागू करना सस्थान की प्राथमिकता है उन्होंने कहा कि दो एकेडमिक हब संस्थान के बंग्लूरू तथा हैदराबाद में बनाये गये हैं जहां एमवीएसी के 31 तथा पीएचडी के 14 छात्रों ने प्रवेश लिया है.
आईवीआरआई के कार्यक्रमों की सराहना की
इसके अतिरिक्त सम विश्वविद्यालय द्वारा एमबीए इन एग्रीकल्चर बिजनेस मैनेजमेंट, एमएससी इन एग्रीकल्चर इकोनोमिक्स तथा एग्रीकल्चर स्टेटिक्स के कार्यक्रम शुरू किये गये हैं. इस अवसर पर भारतीय क़ृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व सहायक महानिदेशक डॉ ओपी ढांडा तथा गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. अमरीश कुमार तथा कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग, छत्तीस गढ़़ के कुलपति डॉ आर आर वी सिंह तथा दुवाशु मथुरा के पूर्व डीन डा. पी.के. शुक्ला तथा केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के निदेशक डा. अशोक कुमार तिवारी ने भी अपने विचार रखे तथा आईवीआरआई द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों की सराहना की.
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