नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के झाबुआ मौसम साफ होने के साथ गर्मी बढ़ती जा रही है. 12 मई को यहां अधिकतम तापमान 37.2 डिग्री पर जा पहुंचा और अब इसमें लगातार इजाफा होने का अनुमान है. ऐसे में भीषण गर्मी से विश्व प्रसिद्ध कड़कनाथ मुर्गे पर हीट स्ट्रोक का खतरा गहराने लगा है. उन्हें बचाने के लिए शासकीय कड़कनाथ कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र में छह जम्बो कूलर लगाने की तैयारी की जा रही है. फिलहाल खिड़कियों पर टाट के परदे बांधकर दिन में चार बार उन्हें पानी से गीला किया जा रहा है, ताकि तापमान नियंत्रित रहे और कड़कनाथ सुरक्षित रह सकें.
गौरतलब है कि 35 डिग्री से अधिक तपमान कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे की सेहत के लिए सही नहीं है. इससे उनके उत्पादन पर असर होता है. लिहाजा कड़कनाथ कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र में गर्मी से बचाने के लिए कूलर लगाए जाना है. वर्तमान में कड़कनाथ की नियमित इलेक्ट्रोलाइट पाउडर के साथ विटामिन सी, प्याज और भी कॉप्लेक्स की खुराक भी दी जा रही है. जिससे उनकी उनकी सेहत सही रहे और अंडे व सूने का उत्पादन प्रभावित न हो.
कड़कनाथ की क्या है खासियत
बता दें कि शासकीय कड़कनाथ कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र में 6 हजार मुर्गियों को रखने की क्षमता है. जबकि 35 डिसी से अधिक तापमान होने पर कड़कनाथ चूजे का उत्पादन प्रभावित होता है. जबकि यहां अधिकतम तापमान 37.2 डिसी पर पहुंच गया है. बता दें कि कड़कनाथ को क्षेत्रीय भाषा में कालामासी भी कहा जाता है. क्योंकि इसका मांस, चौथ कलगी जुबान, टांग, नाखून, चमड़ी सभी काली होती है. यह मेलेनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण होता है. कड़कनाथ के मांस में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में और वसा न्यूनतम मात्रा में होता है. इसलिए इसे सेहत के हिसाब से भी अच्छा माना जाता है. कड़कनाथ को हृदय और डायबिटीज रोगियों के लिए उत्तम आहार माना गया है.
तीन तरह का होता है कड़कनाथ
बता दें कि कड़कनाथ तीन तरह का होता है. जिसमें जेड ब्लैक पंच, पूरी तरह से काले होते हैं. वहीं पेंसिला, जिस तरह पेंसिल से रोड बनाया जाता है उसी तरह के शेड कड़कनाथ के पंख पर नजर आते हैं. गोल्डन, इस कड़कनाथ के पंख पर गोल्डेन छींटे दिखाई देते हैं. अधिकारियों ने बताया कि कड़कनाथ को गर्मी से बचाने के लिए खुराक बदली गई है. ताकि उन्हें हिटस्ट्रोक न हो. चूंकि अब गर्मी बढ़ रही है और ऐसे में बाहरी तापमान के साथ कमरे के आंतरिक तापमान में भी इजाफा होगा. इसलिए बाहरी दीवारों पर कूलर लगाए जाएंगे. जिससे चूजों के प्रजनन पर असर न पड़े.
Leave a comment