नई दिल्ली. मूल रूप से शतुरमुर्ग शब्द अंग्रेजी और फ्रेंच शब्द “ऑस्ट्रिस” लिया गया है. इसकी उत्पत्ति अफ्रीका में हुई. दक्षिण अफ्रीका का ग्राहम जिला बड़े पैमाने पर शतुरमुर्ग पालने के लिए जाना जाता है. 1857 से शतुरमुर्ग दक्षिण अफ्रीका में पाले जा रहे हैं. मिस्र तथा रोम की कुलीन महिलाएँ शतुरमुर्ग की सवारी करती थीं. ग्रीक शतुरमुर्ग को कैद में रखते थे और भोजन के लिए इसका प्रयोग करते थे. कम चर्बी और लाल माँस से भरपूर होने के कारण यह लोगों का ध्यान आकर्षित करता है. पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में चमड़े के प्रयोग के लिए शतुरमुर्ग 1987 से पाला जा रहा है.
यह सबसे अधिक आयु तक जीने वाला पक्षी है. शतुरमुर्ग का उत्पादन दुनिया भर में भले ही धीमी गति से बढ़ रहा हो, लेकिन इसका उत्पादन स्थिर है. यूरोपीय लोगों ने 1860 में मांस के लिए इसका प्रयोग किया. 1838 से दक्षिण अफ्रीका से यूरोप तक इसके पंखों का निर्यात होने लगा. दक्षिण अफ्रीका में इसका उत्पादन सफल रहा और दुनिया भर में इसे आजमाया जा रहा है.
पोल्ट्री के तहत कई प्रजातियां पाली जाती हैं
बताते चलें कि पोल्ट्री शब्द आमतौर पर मुर्गियों के लिए प्रयोग होता है, लेकिन इसमें बत्तख, टर्की, गिनी पक्षी, बटेर, एमु, कलहंस के अलावा और भी कई प्रजातियां शामिल होती हैं. मुर्गी उत्पादन में ब्रायलर उत्पादन, लेयर फार्मिंग ऐड ब्रीडर फार्मिंग शामिल है. जिन्हें अब व्यवसायिक दर्जा मिल चुका है. सरकार, विश्वविद्यालय और निजी संस्थानों में कई मुर्गियों की कई ग्रामीण प्रजातियाँ विकसित हो रही हैं जिनसे उच्च दर्जे के अंडे और माँस मिलते हैं. ये ग्रामीण किस्म इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये रंग में ‘देसी’ पक्षियों के समान है, लेकिन इनके अंडे और माँस का उत्पादन समान ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी स्थितियों के अभाव में भी अधिक है.
इन चीजों का होता है बिजनेस
एक्सपर्ट के मुताबिक शुतुरमुर्ग के मांस में कई पोषक तत्व होते हैं. इसके मीट में बी-12, सेलेनियम, नियासिन, बी-6, फॉस्फोरस, जिंक, थायमिन, राइबोफ्लेविन, पैंटोथेनिकएसिड, आयरन, पोटेशियम, कॉपर होता है. वहीं शुतुरमुर्ग को उनके मांस, खाल और पंखों के लिए व्यावसायिक रूप से पाला जाता रहा है. शुतुरमुर्ग के पंखों का उपयोग बढ़िया मशीनरी और उपकरणों की सफाई के साथ-साथ सजावट और फैशन उद्योग किया जाता रहा है. यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पाले गए शुतुरमुर्गों से उत्पादित पंखों की गुणवत्ता अफ्रीका में उत्पादित पंखों से भिन्न होती है.
अंडे और मांस का होता है उत्पादन
छोटे पैमाने पर व्यवसायिक उत्पादन प्रणाली और गांव या पृष्ठभूमि प्रणाली विशिष्ट रूप से छोटे पोल्ट्री उत्पादन की क्षमता दर्शाती हैं. पोल्ट्री परिवार के लिए दक्षिण अफ्रीका में इसे वर्गीकृत कर अपनाया जाता है. लघु पैमाने पर पोल्ट्री उत्पादन प्रणाली में मांस या अंडे या दोनों का उत्पादन हो सकता है. पक्षियों को प्रजनन के लिए खरीदा जाता है. इनके उत्पाद व्यवसायिक रूप से बेचे जाते हैं. ऐसे खेत जो पक्षियों की निरंतर भीतर ही रखते हैं. पारंपरिक मुर्गीपालन प्रणाली में केवल कुछ बुनियादी चीजों के साथ देसी मुर्गीपालन उत्पादन, संकर नहीं, अंडे के उत्पादन के बजाय मांस पर ध्यान दिया जाता है और संयुक्त उत्पादन प्रणाली का प्रयोग किया जाता है.
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