नई दिल्ली. मिलावट खोरी से हर आदमी परेशान हैं, दूध, दही, घी, तेल, पानी यहां तक दाल—मसालों में भी मिलावट आ रही है. लोग दूध—घी में मिलावट को लेकर सबसे ज्यादा परेशान रहते हैं.बहुत से पशुपालक ज्यादा कमाई करने के लिए दूध में मिलावट करते हैं. मिलावट भी कई तरह से की जाती है. दूध बेचने वाले यूरिया, वनस्पति, पानी और सिंथेटिक आदि डालकर दूध में मिलावट करते हैं. मिलावट को पकड़ना सबके बस की बात भी नहीं है लेकिन एक दस रुपये की किट से इस मिलावटखोरी को बड़ी आसानी से पकड़ा जा सकेगा. हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के इंजीनियरों ने एक ऐसी जांच किट तैयार की है, जो दूध और पानी में घुले प्रदूषण व मिलावटी तत्वों को झट से पहचान लेगी.
अक्सर दूध की मिलावट दूधिए सिर्फ और सिर्फ ज्यादा पैसा कमाने के लिए करते हैं. दूध से ज्यादा मुनाफा हासिल करने का ये सबसे आसान और सस्ता तरीका होता है लेकिन मिलावट का नुकसान दूध पीने वालों को होता है. क्योंकि जब कोई इस तरह का दूध पीता है तो उसे भारी नुकसान होता है. कई बीमारियों को भी मिलाावटी दूध दावत देता है. अब हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के इंजीनियरों ने एक ऐसी जांच किट तैयार की है, जो दूध और पानी में घुले प्रदूषण व मिलावटी तत्वों को एक मिनट में ही पहचान लेगी. निजी कंपनी की मदद से जांच किट को बाजार में उतारने की तैयारी है. इसकी कीमत 10 रुपये तक रहने की उम्मीद है.
ऐसे करेगी ये किट काम
डॉक्टर आशीष कपूर ने बताया कि लैब आन चिप को ऐसे डिजाइन किया गया है कि इसके अलग- अलग हिस्सों में पानी या दूध की बूंद डालकर अलग-अलग रसायनों को जांचा जा सकता है. इसके साथ ही रंगों के आधार पर रसायनों की मात्रा का विश्लेषण भी किया जा सकता है. रंगों के आधार पर डिवाइस में ही निशान बनाए गए है, जिससे कोई भी व्यक्ति यह जान सकेगा कि घातक रसायन की मात्रा कितनी है. इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डाक्टर आशीष कपूर ने यह जांच किट तैयार की है. उन्होंने बताया कि दूध या पानी में मौजूद मिलावट या विषैले रसायनों की पहचान के लिए मशीनों और प्रतिक्रिया करने वाले रीजेंट की जरूरत होती है. बाजार में रोजेंट की कीमत काफी ज्यादा है इसलिए मिलावट की जांच का खर्च भी बढ़ जाता है. इतना ही नहीं रिपोर्ट आने में भी समय लगता है.
10 रुपये में खरीद सकेंगे इस चिप को
हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में तैयार हुई विशेष जांच किट, निजी कंपनी की मदद से जांच किट को बाजार में उतारने की तैयारी है. चिप को प्रयोगशाला में तैयार करने में लागत करीब 10 रुपये आई है। जब बड़े स्तर पर उत्पादन होगा तो लागत और भी घट जाएगी. कुछ निजी कंपनियों ने इसे बाजार में उतारने में दिलचस्पी दिखाई है. सहमति होने पर लाइसेंस प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. लागत कम होने और प्रयोग में आसान होने से हर कोई इसका प्रयोग कर सकेगा. इससे अगर आप घर से बाहर कहीं जाते हैं तो भी पानी या दूध की गुणवत्ता की जांच कर सकेंगे कि प्रयोग करने लायक है या नहीं.
लैब आन दिया गया है नाम
डॉक्टर आशीष के अनुसार फिल्टर पेपर की मदद से विभिन्न रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करने वाले रीजेंट तैयार किए गए हैं. इन्हें एक पतली स्ट्रिप या चिप में व्यवस्थित किया गया है, जिसे लैब आन चिप नाम दिया है. इसमें नमूने के लिए पानी या दूध की बूंद टपकाने का स्थान निर्धारित है. बूंद गिरने के बाद रसायनों के साथ प्रतिक्रिया होने से चिप के एक हिस्से में रंग परिवर्तन दिखने लगता है.
बैंगनी रंग है तो समझ लो मिलावट है
अगर पानी में क्रोमियम या कोई है अन्य घातक रसायन मौजूद है तो बैंगनी रंग दिखने लगता है. दूध में स्टार्च की मात्रा ज्यादा होने पर भूरा रंग दिखता है. जितना ज्यादा जिस पदार्थ की उपस्थिति होगी, रंग उतना ही गाढ़ा दिखेगा. इसके मानक जांच किट में प्रदर्शित किए गए हैं. उन्होंने बताया कि अभी क्रोमियम, निकिल और लेड जैसे घातक रसायनों की पहचान करने वाली चिप विकसित की गई है. अन्य रसायनों की जांच के लिए भी कोशिश की जा रही है.
Leave a comment