Home पशुपालन Animal Husbandry: बढ़ती जनसंख्या का सामना करने में वरदान साबित होंगे पशुधन, जानें कैसे
पशुपालन

Animal Husbandry: बढ़ती जनसंख्या का सामना करने में वरदान साबित होंगे पशुधन, जानें कैसे

livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो:

नई दिल्ली. वेटरनरी यूनिवर्सिटी के सातवें कॉन्वोकेशन में पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान के 665 छात्र-छात्राओं को डिग्री से नवाजा गया. इसमें 26 को गोल्ड ​मेडल मिला. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि पशु चिकित्सा विज्ञान भी प्राचीन काल में हमारे यहां विकसित रहा है. देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या, घटती कृषि जोत एवं पानी तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों की कमी को पूरा करना एक चुनौती है. हालांकि हम खाद्य सुरक्षा के हिसाब से आत्मनिर्भर हो गये हैं लेकिन फिर भी बढ़ती जनसंख्या की स्थिति में पशुधन और पशुधन प्रोडक्ट उत्पाद हमारे लिए वरदान साबित हो सकते हैं.

उन्होंने इससे पहले बीकानेर के सातवें कान्वोकेशन की सभी को बधाई दी और कहा कि गुरुकुल शिक्षा के समय जो समावर्तन संस्कार है, वही आज का कान्वोकेशन उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि देश की बेटियों न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि अन्य क्षेत्रों सेना, नेवी, एयरफोर्स, अन्य सेवाओं में निस्तर अपने आपको श्रेष्ठ साबित किया है. उन्होंने आगे कहा कि मैं यह मानता हूं कि नई तकनीक के जरिए से पशु-सम्पदा रोग निदान और उपचार के साथ-साथ उनकी उत्पादक क्षमता बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक प्रयास किये जा रहे हैं ताकि प्रदेश पशुपालन में तेजी से आगे बढ़ सकेगा.

पालन और रिसर्च पर दें ध्यान
राज्यपालन कलराज मिश्र ने कहा कि पशुपालकों को हम वैज्ञानिक तरीके से पशुधन संरक्षण के लिए प्रेरित करें और समय की जरूरत के मुताबिक विश्वविद्यालय में जैविक पशुपालन और रिसर्च पर ध्यान दें. इससे युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा सकेगा. प्रो. नजीर अहमद गनई कुलपति, शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर ने विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत व ज्ञान से आज उपाधियां प्राप्त की हैं. मुझे विश्वास है कि आप सभी उत्तरोतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होते रहेंगे. गांवों का विकास कृषकों एवं पशुपालकों के विकास से ही संभव है तथा पशुपालकों की आय बढ़ाने से ही भारत की अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति का विकास संभव हो सकेगा.

तेजी से हुआ है पशुपालन का विकास
उन्होने हरित क्रांति का उदाहरण देते हुए कहा कि आजादी के बाद भारत में कृषि व पशुपालन का विकास बहुत तेजी से हुआ है. 77 वर्षों में भारतवर्ष में दूध, मांस, अंडे, अनाज व फलों का उत्पादन बढ़ा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी -2020 के लागू होने से पशु चिकित्सकों व कृषि शिक्षा की गुणवत्ता में भी अपेक्षाकृत सुधार होंगे एवं कुशल तकनीक अपनाने से पशुपालन व कृषि के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ेगी. भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लगभग 20.5 मिलियन लोग अपनी आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर हैं. उन्होने विद्यार्थियों से कहा कि आपने यहां जो ज्ञान, समझ, मूल्य और तकनीकी योग्यता हासिल की है, वह आपको अपने जीवन में प्रदर्शन करने में सहायक होगी.
उन्होने विद्याथियों को ध्येय बनाकर आगे बढ़ने एवं उद्यमीता अपनाने को प्रेरित किया.

सबसे ज्यादा रिसोर्स कराते हैं उपलब्ध
वहीं कुलपति प्रो. गर्ग ने कहा कि राजुवास बीकानेर सहित देश के अन्य प्रदेशो में पशुओं की देखभाल तथा इलाज के लिए भारतवर्ष में सर्वाधिक ह्यूमन रिसोर्स उपलब्ध करवाने वाला विश्वविद्यालय है. कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा उत्कृष्ट पशुचिकित्सा सेवा, विभिन्न शोध परियोजनाओं, प्रसार गतिविधियों, सामाजिक सरोकार के कार्य एवं पशुपालकों के लिए गांव ढाणियों तक प्रदान की जाने वाली प्रसार गतिविधियों की जानकारी प्रदान की. किसी भी संस्थान के लिए उसके छात्र ही उसके ब्रांड एम्बेसडर होते हैं. क्योंकि छात्रों की सफलता के साथ उस संस्थान को भी उनकी सफलता के साथ याद किया जाता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं के लिए क्यों जानलेवा है ठंड, क्या-क्या होती हैं दिक्कतें, पढ़ें यहां

ये ठंड के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. इसलिए इनका ख्याल रखना...

livestock animal news
पशुपालन

Fodder Maize: पोल्ट्री और एनिमल फीड की ताकत बनेगी मक्का की ये वैराइटी, पढ़ें इसकी खासियत

अफ्रीकी लंबा मक्का एक हरा चारा फसल है जो अपने उच्च शुष्क...