Home पशुपालन Animal Fodder: गर्मी में हरे चारे की कमी है तो न घबराएं, सूखे चारे से पूरी करें पशु की जरूरत, पढ़ें तरीका
पशुपालन

Animal Fodder: गर्मी में हरे चारे की कमी है तो न घबराएं, सूखे चारे से पूरी करें पशु की जरूरत, पढ़ें तरीका

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. देश में पशु सम्पदा से धनी है. देश में कई तरह प्रकार की इकोलॉजी व जलवायु के कारण पशुओं को खिलाया जाने वाला आहार भी स्थानीय संसाधनों पर निर्भर करता है. कुछ भू-भागों पर अच्छी बारिश की वजह से सालभर हरे चारे की उपलब्धता बनी रहती है. तो कहीं पर बारिश न होने की वजह से काल जैसी स्थितियां भी रहती हैं. राजस्थान के कई जिलों में ऐसी स्थिति देखने को मिलती है. भयंकर सूखे के कारण यहां का पशुधन अन्य राज्यों की तरफ पलायन करता है. यहां हरे चारे की कमी के कारण, पशु का पोषण सूखे चारे व पशुआहार के अन्य सीमित संसाधनो के आधार पर ही किया जाता है. इस परिस्थिति में सूखे व मोटे चारे की उपयोगिता को बढ़ा कर पशुपालक अधिक उत्पादन ले सकते है.

पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर के डॉ. अनिल हर्ष, डॉ. अनिता तंवर एवं डॉ. पूजा प्रजापत ने बताया कि पशु पोषण में सूखा चारा का महत्व है. सूखा व मोटा चारा अधिक रेशेदार होता है. जो भोजन प्रणाली में अधिक पानी शोषित करके, लैक्सटिव प्रभाव उत्पन्न करता है. यह पशु कि भूख को तुरंत शांत करने वाला आहार होता है. सूखा चारा, हरे चारे कि तुलना में सस्ता भी होता है. सूखे चारे की उपयोगिता बढ़ाने के उपायः परिपक्व खाद्यान्न फसलों से दाना अलग करने के बाद जो बाई प्रोडक्ट बचता है, वह सूखे चारे के रूप में उपयोग लाया जाता है. इसमें नमी की मात्रा 10-15 प्रतिशत तक ही होती है. जबकि इस चारे में कुल पोषक तत्व 30-40 प्रतिशत उपस्थित रहती है. इसमें कैल्शियम व फॉस्फोरस भी कम मात्रा में पाई जाती है. कुछ उपाय करके इस चारे की उपयोगिता को बढ़ा सकते है. आइए जानते हैं.

ये दो तरीका है बहुत कारगर
चारा कुट्टी तकनीक चारा कुट्टी तकनीक के द्वारा सूखे चारे को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है. चारे को काटने की वजह से इस की सतह का क्षेत्रफल बढ़ जाता है. जिससे पशुओं के रूमन में उपस्थित सूक्ष्मजीवों द्वारा इस चारे को अधिक सरलता से पचाकर, उसमें उपस्थित पोषक तत्वों को ज्यादा मात्रा में पशु शरीर को उपलब्ध कराने का कार्य करते हैं. सूखे चारे को चबाने में पशु को आसानी होती है तथा उसकी ऊर्जा व समय दोनों का क्षय कम होता है एवं पशु चारे को व्यर्थ नहीं छोड़ता है. सूखे चारे का भाप द्वारा उपचार इस विधि में उच्च दाब पर भाप द्वारा मोटे व सूखे चारे को उपचारित किया जाता है. जिससे इसमें उपस्थित लिग्नो-सैल्यूलोज व लिग्नो-हेमीसेल्यूलोज का डिसोल्यूशन होता है. इससे चारे की कठोरता में कमी आती है तथा इसकी पाचकता में वृद्धि होती है.

रासायनिक विधि क्या है
इसमें यूरिया द्वारा उपचार सूखा चारा में प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होती है. यूरिया के द्वारा उपचारित करने पर सूखे चारे की पोषकता में इजाफा किया जा सकता है. इस उपचार से सूखे चारे की प्रोटीन में 3-4 गुना बढ़ोतरी हो जाती है. इसमें पाचकता प्रतिशत भी बढ़ जाती है. इस तकनीक से उपचारित चारे का सेवन करने पर पशु के रूमन में उपस्थित सूक्ष्मजीव, सीमित मात्रा में मौजूद यूरिया को शुक्ष्मजीवीय अमोनिया में तथा इस अमोनिया को प्रोटीन में बदल देते हैं. जिससे पशु की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है.

कैसे इसे बनाएं
सूखे चारे को यूरिया से ट्रीट कर उसकी गुणवत्ता में सुधार करने के लिए 100 किलोग्राम सूखे चारे को साफ जगह फैला देना चाहिए. इस के बाद 1 से 12 किलोग्राम यूरिया को लगभग 10 लीटर पानी में घोल बना दें. अब इस घोल को झारे की सहायता से सूखे चारे पर छिड़क दें. तथा उपचारित चारे को अच्छी तरह से पलटकर मिला दें. इस विधि से उपचारित चारे को ऐसे ही या सूखा कर पशुओं को खिलाएं. उपचारित चारे के साथ प्रति दिन 50 ग्राम खनिज लवण तथा 30 ग्राम नमक प्रति पशु को खिलाना लाभकारी होता हैं.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Goat Farming, Goat Farm, CIRG, Pure Breed Goat
पशुपालन

Goat Farming: बारिश में बकरियों का ऐसे रखे ख्याल तो नहीं लगेगी कोई बीमारी, पढ़ें डिटेल

अगर बकरियों को ठीक से आहर दें तो स्वास्थ्य ठीक रह सकता...

livestock animal news
पशुपालनसरकारी स्की‍म

Animal Husbandry: यूपी में खुरपका-मुंह पका रोग को रोकने को महाअभियान, करा रहे वैक्सीनेशन

पशु विभाग की टीमें गांव-गांव पहुंचकर गोवंशीय और पशुओं का टीकाकरण कर...

barbari goat, Goat Breed, Bakrid, Sirohi, Barbari Goat, Goat Rearing, CIRG, Goat Farmer, Moringa, Neem Leaf, Guava Leaf, goat milk, milk production
पशुपालन

Animal Husbandry: गर्भावस्था और प्रसव के दौरान इन बातों का जरूर ख्याल रखें बकरी पालक

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के मुताबिक इन बकरियों को ब्याने...

तोतापरी की बकरी के पालन में बहुत ही कम लागत आती है. तोतापुरी या तोतापरी बकरी कम लागत में पालकर मोटी कमाई की जा सकती है.
पशुपालन

Goat Farming: कितने वक्त के लिए हीट में रहती है बकरी, क्या है इसकी पहचान, जानें यहां

हीट में आई बकरियों की मदकाल (गर्मी) में आने के 10-12 घण्टे...