नई दिल्ली. स्लाटर हाउस में पशुओं की कटिंग के बाद उसके अलग—अलग पीस करना भी मीट प्रोसेसिंग की कैटेगरी में आता है. मीट को बेहद ही सावधानी के साथ काटा जाता है. इसके टुकड़े करने वाले लोग बेहद ही एक्सपर्ट होते हैं. उन्हें पता होता है कि कौन सी बड़ी पीस को कहां से काटा जाना, जिससे मीट में कोई खराबी न आए. बड़े स्लाटर हाउस में मशीनों की मदद से भी मीट के बड़े टुकड़ों को छोटे—छोटे पीस में कट किया जाता है. वहीं फिर उसे पैक कर दिया जाता है. जिसके बाद मीट को बेचने के लिए सुपर मार्केट भेजा जाता है. या फिर एक्सपोर्ट कर दिया जाता है.
कण आकार को कम करना मांस प्रोसेसिंग में से कई में पालन किया जाने वाला पहला कदम होगा. मांस को सही आाकार में कट किया जाना चाहिए. जिससे एक समान तरीके से नजर आए. मीट को कटिंग करते वक्त सबसे बारीक कामों में से एक है मांसपेशियों के आसपास झिल्ली को हटाना. क्योंकि इस झिल्ली को हटाए बिना मीट में टेस्ट नहीं आता है. इसलिए इसे हटाना बेहद जरूरी होता है. इसे बारीक चाकू से बेहद सफाई के साथ हटाया जाता है.
कितना होना चाहिए प्रोसेसिंग रूम का टेंपरेचर
मीट की कटिंग सेक्शनिंग, चंकिंग, स्लाइसिंग, फ्लेकिंग, ग्राइंडिंग या चॉपिंग द्वारा पूरा किया जाता है. कम मांस के कण आकार के परिणामस्वरूप सतह क्षेत्र में वृद्धि होती है, वायुमंडलीय ऑक्सीजन के संपर्क में और अन्य दूषित सामग्री की वजह से ये मीट को उच्च लिपिड और मायोग्लोबिन ऑक्सीकरण की ओर ले जाते हैं और मांस की माइक्रोबियल गुणवत्ता में कमी आ जाती है. इसलिए तापमान बनाए रखने के लिए देखभाल की जानी चाहिए. ताकि मीट खराब न हो. मांस और प्रोसेसिंग रूम का टेंपरेचर तकरीबन 7 डिग्री सेल्सियस और 12 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए. वहीं सेक्शनिंग में बीच में सीम करके पूरी मांसपेशियों को अलग करना शामिल है.
इस तरह मीट होता है प्रोसेस
चंकिंग मोटे कण या टुकड़े बनाने की प्रक्रिया है. बहुत मोटे ग्राइंडर प्लेट के साथ या मांस डीसर का उपयोग करके या मदद से टुकड़ों में बनाया जा सकता है. इसके बाद इसे पैक कर दिया जाता है. वहीं स्लाइसिंग जमे हुए और आंशिक रूप से पिघला हुआ (टेम्पर्ड) बोनलेस मांस ब्लॉक को कहते हैं. ये अलग-अलग मोटाई में घूमने वाले ब्लेड के साथ एक मांस स्लाइसर का उपयोग करके कटा हुआ होता है. फ्लेकिंग मांस फ्लेकिंग मशीन के साथ कण आकार को कम करने की एक प्रक्रिया है.
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