नई दिल्ली. मई, जून और जुलाई के मौसम में हरे चारे की दिक्कतें पशुओं के लिए हो सकती हैं. पशुपालन में हरा चारा खिलाना पशुओं की सेहत और दूध के लिए काफी अहम माना जाता है. आप भी पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए परेशान हैं तो ये खबर आपके लिए है. दुधारू पशुओं के लिए गर्मी के मौसम में लोबिया चारे की फसल फायदेमंद मानी जाती है. लोबिया की खेती आमतौर पर सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. यह गर्मी और खरीफ मौसम की जल्द बढ़ने वाली फलीदार, पौष्टिक और स्वादिष्ट चारे वाली फसल है. किसानों को लोबिया फसल की बिजाई संबंधी जानकारियां इस आर्टिकल के द्वारा दे रहे हैं. कैसे हरे चारे के अलावा दलहन, हरी फली (सब्जी) व हरी खाद के रूप में अकेले या मिश्रित फसल के तौर पर भी लोबिया को उगाया जाता है.
हरे चारे के अंदर कई पौष्टिक गुण होते हैं. जिससे उत्पादन को बनाए रखने में मदद मिलती है. डेयरी फार्मिंग के काम में अगर पशुओं का उत्पादन कम हो जाता है तो फिर पशुपालकों को नुकसान होने लग जाता है. इसलिए पशु एक्सपर्ट भी हरे चारे को खिलाने की बात करते हैं.
ये मिट्टी होती है सबसे बेहतर: लोबिया की काश्त के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. लेकिन रेतिली मिट्टी में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. लोबिया की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को खेत की बढ़िया तैयारी करनी चाहिए. इसके लिए 2-3 जुताई काफी हैं.
जानिए एक्सपर्ट की राय: दुधारू पशुओं के लिए गर्मियों में लोबिया के चारे की फसल लाभकारी है. यह गर्मी और खरीफ मौसम की जल्द बढ़ने वाली फलीदार, पौष्टिक एवं स्वादिष्ट चारे वाली फसल है. लोबिया की खेती सिंचित क्षेत्रों के अलावा बारानी क्षेत्रों में भी की जा सकती है. हरे चारे के अलावा दलहन, हरी फली सब्जी और हरी खाद के रूप में अकेले अथवा मिश्रित फसल के तौर पर भी लोबिया को उगाया जाता है.
जुलाई में मिलता है फायदा: मई में बोई गई फसल से जुलाई में इसका हरा चारा चारे की कमी वाले समय में उपलब्ध हो जाता है. अगर किसान लोबिया को ज्वार, बाजरा या मक्सी के साथ 2:1 के अनुपात में लाइनों में उगाएं तो इन फसलों के चारे की गुणवता भी बढ़ जाती है. पशुओं की दुग्ध क्षमता बढ़ाने के लिए लोबिया का चारा अवश्य खिलाना चाहिए. इसके चारे में औसतन 15-20 प्रतिशत प्रोटीन और सूखे दानों में लगभग 20-25 प्रतिशत प्रोटीन होती है.
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