नई दिल्ली. क्या आप भी पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए परेशान हैं तो ये खबर आपके लिए है. क्योंकि केरल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित संकर नेपियर घास को खिलाने से पशुओं को खूब दूध होगा. खास बात यह है कि ये घास जलवायु को प्रति लचीली है. इसे न्यूनतम रखरखाव की आवश्यकता होती है. घास खाने वाली संकर नस्ल की जर्सी गायों के दूध में वसा का प्रतिशत भी बढ़कर 6 तक हो जाता है. दरअसल, केरल चारे की कमी का सामना कर रहा है. ऐसे में संकर घास कोल्लम में डेयरी किसानों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रही है.
केरल कृषि विश्वविद्यालय ने किया विकसित
बता दें कि केरल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इस घास को विकसित किया गया है. यह जलवायु के अनुकूल है और इसे न्यूनतम रखरखाव की आवश्यकता होती है. ये कई लोगों के लिए एक आदर्श विकल्प भी बनती जा रही है जबकि पशु चारे की कीमतें बढ़ रही है. कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा किए गए ऑनलाइन पर फॉर्म परीक्षण सफल होने के बाद जिले के लगभग 50 किसानों ने इस घास की खेती शुरू कर दी है. एक किसान ने बताया कि रोपण के 1 महीने बाद तक फसल को पानी नहीं दिया लेकिन उपज या चारे के स्वाद में कोई कमी नहीं आई. यह परेशानी मुक्त प्रक्रिया है.
दूध में वसा का लेवल भी बढ़ गया
बताते चलें कि राज्य में पहला पशुपालन प्रशिक्षण केवीके कोल्लम द्वारा किया गया. जहां क्रॉस ब्रीड जर्सी को एक महीने के लिए घास खिलाया गया. पता चला कि प्रतिदिन औसतन 1.5 लीटर दूध का में इजाफा हो गया. जबकि क्रॉस ब्रीड जर्सी में सामान्य वर्षा प्रतिशत 3.5 से 4.2 के बीच होता है. उन गायों का यह वास प्रतिशत 6 तक पहुंच गया. केवीके की सहायक प्रोफेसर (पशुपालन) एस पार्वती कहती हैं कि एक व्यस्क गाय को प्रतिदिन लगभग 30 किलोग्राम हरे चारे की आवश्यकता होती है. जो गर्मी के महीने असंभव कार्य है. अधिकतम उत्पादकता सुरक्षित करने के लिए किसानों द्वारा अक्सर गायों को अतिरिक्त संद्रण आहार दिया जाता है.
बारिश के बिना भी जीवित रहती है
हमारे पास पर्याप्त गुणवत्ता वाला हरा चारा है तो हम संद्रन की मात्रा कम कर सकते हैं. जबकि किसान अक्सर हरे चारे के लिए सी 01 और सी 02 पर निर्भर रहते हैं, लेकिन कृषि परीक्षणों के नतीजे बताते हैं कि यह एक बेहतर विकल्प है. फसल का एक मुख्य आकर्षण इसकी गर्मी प्रतिरोधी क्षमता है. क्योंकि थर्मल तनाव इसके विकास को काफी हद तक प्रभावित नहीं करेगा. केवीके के सहायक प्रोफेसर कृषि वैज्ञान सीआर नीरज कहते हैं कि जबकि घास की अन्य किस्म नमी के बिना मुरझा जाएगी लेकिन या घास बारिश के बिना भी जीवित रह सकती है.
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