नई दिल्ली. गर्मी में पशुओं को अतिरक्त देखरेख की जरूरत होती है. खासतौर पर जब पारा 40 डिग्री के पार है और घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल है तो पशुओं की देखरेख और ज्यादा बेहतर ढंग से की जानी चाहिए. इस दौरान पशुओं को ठंडा रखने के लिए दो वक्त नहलाने के साथ—साथ भरपूर पानी पिलाना चाहिए. ताकि पशुओं को पानी से मिलने वाला जरूरी तत्व कम न हो और दूध उत्पादन पर कोई असर न पड़़े. क्योंकि एक्सपर्ट कहते हैं कि गर्मी में पानी की कमी के कारण दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है.
पशुपालकों के जेहन में ये सवाल जरूर होगा कि अगर दूध में गिरावट आती है तो कितना फीसदी दूध का प्रोडक्शन कम होता है. यहां बता दें कि कई बार पशुओं की सेहत पर भी ये चीज डिपेंड करती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि सिर्फ दूध उत्पादन पर ही नहीं बल्कि दूध की क्वालिटी पर भी मौसम का असर होता है. ऐसे में पशुपालकों के लिए जरूरी है कि वो पशुओं को पानी की कमी न होने दें. जरूरत के मुताबिक साफ पानी पशुओं को पिलाते रहें.
जानें कितना दूध उत्पादन घटता है
एक्सपर्ट के मुताबिक मौसम की स्थिति का दूध उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. कई रिसर्च से ये बात साबित हुई है कि मौसम की वजह से दूध की उपज के बीच संबंध कमजोर है, लेकिन दूध की उपज, दूध वसा और प्रोटीन की उपज पर मौसम के कारकों का कुल प्रभाव लगभग 42-46 फीसदी है. ज्यादा गर्मी से दूध की पैदावार प्रभावित हो सकती है, जिससे औसत दैनिक उपज क्रमशः लगभग 3.7% और 6.1% घट जाती है. गर्मी के महीनों में बढ़ते तापमान का दूध उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. वहीं जबकि सर्दियों के महीनों के दौरान मध्यम तापमान का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
5 लाख लीटर की कमी आई थी
बताते चलें कि दक्षिणी भारत के कई हिस्सों में अप्रैल के महीने में ही भीषण गर्मी और पानी की भारी कमी के कारण दूध उत्पादन में गिरावट आई थी. जिससे डेयरियों को खरीद कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. सहकारी समितियों और डेयरी फार्म यूनियनों ने मीडिया के सामने भी इसकी पुष्टि की थी. कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में दुग्ध संघों ने कहा कि था कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मार्च 2024 में उपज में 15% तक की गिरावट आई है. जबकि तमिलनाडु के आविन में स्टोरेज में प्रति दिन पांच लाख लीटर की गिरावट दर्ज की गई है.
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