नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं से ज्यादा दूध उत्पादन लेने के लिए किसान कई कोशिशें करते हैं. एक्सपर्ट भी गेहूं का दलिया खिलाने की सलाह देते हैं. क्योंकि इससे दूध उत्पादन बढ़ता है. हालांकि बहुत से किसान गेहूं का दलिया देने में कुछ गलतियां कर देते हैं. जिससे दूध उत्पादन बढ़ाने की बजाय घट जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक इसका सही तरीका इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है, नहीं तो दूध कम हो जाता है. वैसे तो यह गाय और भैंस के लिए बेहद ही पौष्टिक आहार है, दूध बनाने का जरिया है लेकिन इसका सही तरीका न अपनाने पर ये नुकसान भी कर सकता है.
एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक बहुत सारे डेयरी फार्मर्स जब गेहूं का दलिया तैयार करते हैं, तो उसमें दूध, हल्दी, तेल अजवाइन समेत कई पौष्टिक चीज मिलते हैं. इसके बाद वो इसे पशुओं को देते हैं. इससे दूध हमेशा बढ़ जाता है लेकिन कई बार कम हो जाता है. इसमें एक बात ध्यान देने वाली ये है कि जब भी गेहूं का दलिया खिला रहे हैं जो कार्बोहाइड्रेट का सोर्स भी है उसमें प्रोटीन वाली डाइट भी शामिल जरूर करें. इससे दूध उत्पादन बढ़ जाएगा.
कितना देना चाहिए गेहूं का दलिया
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आप सिर्फ और सिर्फ गेहूं का दलिया दे रहे हैं तो कुछ दिनों के लिए दूध बढ़ जाएगा लेकिन फिर धीरे-धीरे दूध घटने भी लगेगा. इसलिए खली और चूरी मिलाना इसमें न भूलें. अगर खली और चूरी नहीं देते हैं तो पशु को मीठा सोडा खिलाना पड़ता है. हमेशा ध्यान रखिए कि जब भी गेहूं का दलिया दें खली या चूरी के साथ दें. अकेले न दें. अगर आप 4 किलो आहार दे रहे हैं और उसमें गेहूं की दलिया 40 फीसदी है तो हर दिन 50 ग्राम मीठा सोडा पशु को देना होगा. गेहूं की दलिया को 25 फीसदी तक रख रहे हैं तो तब मीठा सोडा हफ्ते में दो बार दे सकते हैं.
गेहूं की दलिया ठंड में पकाकर दें
तीसरी अहम बात यह है कि गेहूं की दलिया को कई बार किसान भाई रात में भिगो देते हैं और सुबह देते हैं. सुबह भिगो देते हैं तो रात में देते हैं. ऐसा न करें. गेहूं के दलिया को तीन-चार घंटा ही भिगोएं. उससे ज्यादा न भिगोएं. सर्दी के मौसम में आप दलिया को पका कर दे सकते हैं लेकिन तीन-चार घंटे से ज्यादा भिगोना सही नहीं है. ज्यादा समय तक भिगोने से इसमें फंगस पैदा होता है. उस फंगस से पशुओं को धीरे-धीरे दिक्कतें होने लगती है और का दूध उत्पादन घट जाता है. चौथी बात यह भी ध्यान रखें कि गेहूं का दलिया में गेहूं की क्वालिटी बहुत ही अच्छी होनी चाहिए. अगर अच्छी क्वालिटी नहीं है तो दूध का उत्पादन कम हो सकता है.
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