Home डेयरी Milk Production: पशुओं को हर रोज 60 ग्राम खिलाएं ये खास चीज, गर्मी से मिलेगी राहत, ज्यादा मिलेगा दूध
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Milk Production: पशुओं को हर रोज 60 ग्राम खिलाएं ये खास चीज, गर्मी से मिलेगी राहत, ज्यादा मिलेगा दूध

कम फाइबर के साथ अधिक कंसंट्रेट या अनाज (मक्का) के सेवन से अधिक लैक्टेट और कम वसा दूध होगा.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. डेयरी पशुओं के साथ गर्मी के मौसम में सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि उन्हें ज्यादा गर्मी लगती है और इससे उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है. नतीजे में डेयरी व्यवसाय के काम में नुकसान होने लगता है. पशुपालक भाइयों को ऐसे तरीकों को अपनाना चाहिए, जिससे पशुओं को गर्मी से बचाया जा सके. ताकि उनका दूध उत्पादन कम न हो और इससे उन्हें डेयरी फार्मिंग के काम में नुकसान भी न हो. इस वजह से पशुओं के खान-पान में भी बदलाव करने की जरूरत होती है, तभी पशुओं को फायदा होता है.

गर्मी से बचने और दूध उत्पादन को कम होने से रोकने के लिए पशुओं को कई चीज खिलाई जाती है. जिससे उनका दूध उत्पादन भी बेहतर रहता है. साथ ही वह गर्मी से भी बच्चे रहते हैं. उन्हीं चीजों में से एक है गोंद कतीरा. गोंद कतीरा पशुओं के लिए फायदेमंद होता है. खासकर गर्मी के मौसम में इससे उनकी इम्युनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है. ये पाचन के लिए अभी बेहतर रहता है.

कितना खिलाएं और कैसे
गोंद कतीरा पशुओं को हर दिन 60 ग्राम खिलाना चाहिए. अगर आप इसे 60 ग्राम खिला रहे हैं तो कम से कम 3 लीटर पानी का भी इस्तेमाल करना होगा. अब इसे खिलाने के तरीके की बात की जाए तो 3 लीटर पानी में शाम को गोंद कतीरा मिला देना चाहिए. सुबह तक इसका वजन 3 से 4 किलो हो जाएगा. वहीं इसके अंदर 100 ग्राम खांड मिला दें. फिर पशुओं को खिला दें. इसका फायदा ये होगा कि पशु का दूध उत्पादन गर्मी में कभी भी कम नहीं होगा. पशु को गर्मी से भी राहत मिलेगी. वहीं जिन पशुओं का दूध उत्पादन नहीं बढ़ रहा है, उन्हें भी गोंद कतीरा खिलाने से उनका दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.

गोंद कतीरा के फायदे
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि गोंद कतीरा पशुओं खिलाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. उनकी इम्यूनिटी मजबूत होती है. अगर पशु बार-बार बीमार हो रहे हैं तो गोंद कतीरा खिलाना चाहिए. गर्मी में पशुओं के शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है. पशुओं को अगर थोड़ी मात्रा में भी गोंद कतीरा दिया जाए तो यह उनके शरीर को ठंडा रखता है और इससे दूध उत्पादन पर बुरा असर नहीं पड़ता. वहीं यह पाचन क्रिया को मजबूत करने में मददगार होता है. पेट दर्द और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी मददगार होता है. इससे पशुओं को आराम मिलता है और उनका दूध उत्पादन ठीक रहता है.

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