Home डेयरी Dairy: गाय-भैंस, भेड़-बकरी को चारा खि‍लाने में हो रही हैं ये गलतियां, इसलिए घट रहा है दूध
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Dairy: गाय-भैंस, भेड़-बकरी को चारा खि‍लाने में हो रही हैं ये गलतियां, इसलिए घट रहा है दूध

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशु पालक दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई बार ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिसके चलते दूध उत्पादन बढ़ने की बजाय घट जाता है. इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए विस्तार शिक्षा निदेशालय, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना ने डेयरी विकास विभाग के अधिकारियों के लिए गुणवत्तापूर्ण चारा उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन पर एक प्रशिक्षण का आयोजन किया. जहां विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह बराड़ ने कहा कि विश्वविद्यालय और राज्य डेयरी विकास विभाग को डेयरी किसानों के कल्याण के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है. जब इस तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है तो अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित हाल की प्रौद्योगिकियों से अवगत रहने में पशु पालकों को मदद मिलती है. जबकि शोधकर्ताओं को कृषक समुदाय के सामने आने वाली नई चुनौतियों को समझने का अवसर भी मिल जाता है. बता दें कि विश्वविद्यालय के डेयरी फार्म के चारा और साइलेज क्षेत्र का दौरा भी आयोजित किया गया था.

घास कटाई और सुखाने के बारे में बताया
वहीं डेयरी विकास विभाग के संयुक्त निदेशक एस. कश्मीर सिंह ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण चारा पंजाब में डेयरी क्षेत्र के विकास की नींव मानी जाती है. उन्होंने कहा कि विभाग के क्षेत्रीय पदाधिकारी विभिन्न भूमिकाओं में डेयरी किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं. ऐसे में उन्हें खुद को विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जा रही नवीनतम तकनीकों के ज्ञान से लैस करना चाहिए और अंतिम उपयोगकर्ताओं तक उनके हस्तांतरण में मदद करनी चाहिए. चारा अनुसंधान विशेषज्ञ डॉ. हरिंदर सिंह ने चारे से घास के प्रसंस्करण और पशुधन उत्पादन में इसके उपयोग के अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने घास की तैयारी के दौरान कटाई और सुखाने के साथ-साथ फसलों और उनकी किस्मों के चयन के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

इसके लिए जागरुक करने की जरूरत है
डॉ. नवजोत सिंह बराड़ ने चारा फसलों के उत्पादन के लिए अनुशंसित प्रथाओं के पैकेज पर बात की. उन्होंने चारा फसलों की खेती के तरीकों, सिंचाई, उर्वरक और पौधों की सुरक्षा के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. डॉ. परमिंदर सिंह ने दूध उत्पादन में साइलेज के महत्व को रेखांकित किया और अच्छी गुणवत्ता वाले साइलेज के उत्पादन के लिए लागू उन्नत तकनीकों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि साइलेज में गुणवत्ता-विरोधी कारक एक बड़ी चिंता का विषय हैं और किसानों को साइलेज बनाने में सामान्य गलतियों को सुधारने के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए. डॉ जे एस लांबा ने डेयरी पशुओं के लिए वैकल्पिक चारे पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने दुधारू पशुओं को खिलाने के लिए निम्न गुणवत्ता वाले चारे की पौष्टिकता में सुधार के तरीके बताए.

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