नई दिल्ली. डेयरी फार्मिंग का मुनाफा पशुओं के दूध उत्पादन पर टिका होता है. अगर पशु दूध का उत्पादन अपनी क्षमता के मुताबिक नहीं करता है या फिर कम करता है तो इससे डेयरी फार्मिंग में नुकसान होने लगता है. ऐसे में जरूरी है कि पशु अपनी क्षमता के मुताबिक दूध का उत्पादन करे ताकि डेरी फार्मिंग में पशुपालकों को नुकसान न उठाना पड़े. ऐसे कई तरीके हैं. जिनको अपना कर आप पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं. दरअसल, एक्सपर्ट का कहना कि अक्सर पशुपालकों ये शिकायत रहती है कि उनका पशु दूध का उत्पादन क्षमता के मुताबिक नहीं करता है. ऐसे में कई देसी नुस्खे भी कारगर साबित होते हैं.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कई बार ये भी होता है कि पशुपालक भाई पशुओं को हर जरूरी चीज खिलाते हैं बावजूद इसके उनका दूध का उत्पादन नहीं बढ़ता है. तो यहां हम एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं, जिसे थोड़े-थोड़े दिन के गैप पर आजमाना है और इससे पशु का दूध उत्पादन बढ़ जाएगा. किसी भी देसी तरीके को अपने से पहले एक बार पशु चिकित्सा की भी सलाह ले लेना चाहिए. जबकि एनिमल एक्सपर्ट भी ये ही सलाह देते हैं कि देसी तरीके को अपने से पहले एक बार पशु चिकित्सक से जरूर पूछ लें. ताकि पशु को किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जा सके.
क्या खिलाना है जानें यहां
अगर आप भी पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं तो बुजुर्गों के बताए तरीके को अपना सकते हैं. बता दें कि दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए आपको देसी घी की जरूरत होगी. साथ ही गुड़ की भी जरूरत होगी. ढाई सौ ग्राम देसी घी और ढाई सौ ग्राम गुड़ को मिक्स कर लें लेकिन गुड को अच्छी तरह से बारीक कर लेना है. जब यह पूरी तरह से बारीक हो जाए तो देसी घी और गुड़ को मिला दें. दोनों का तैयार मिश्रण पशु को थोड़ी-थोड़े दिन के गैप पर खिलाते रहें. इसे हर दिन नहीं खिलाना है. वर्ना इससे नुकसान भी हो सकता है. अगर आप थोड़े-थोड़े दिन में पशुओं ये खिला रहे हैं और इससे दूध उत्पादन बढ़ रहा है तो यह मान लीजिए इसका असर हो रहा है.
खुराक के साथ देखरेख भी पड़ती है जरूरत
बताए गए तरीके को अपनाने से आने वाले दिनों में पशु अपनी क्षमता के मुताबिक दूध का उत्पादन करने लगेगा. मसलन, पशु की क्षमता 15 लीटर दूध देने की है तो वह 15 लीटर दूध का उत्पादन करने लगेगा. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि दूध उत्पादन सिर्फ पशुओं की खुराक ही नहीं बल्कि उनकी देखरेख पर भी निर्भर करता है. आमतौर पर ठंड के दिनों में पशु का दूध उत्पादन कम हो जाता है. जबकि गर्मी के दिनों में भी इस पर असर पड़ता है. इस वजह से मौसम के लिहाज से भी पशुओं का ख्याल रखना चाहिए. तभी दूध उत्पादन ठीक मात्रा में पशु करेगा.
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