नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले ज्यादातर किसानों की ये चाह होती है कि उन्हें पशुओं से ज्यादा से ज्यादा दूध हासिल हो. भैंस दूध ज्यादा दे इसलिए किसान अच्छी नस्ल की भैंस को पालना पसंद करते हैं. जब अच्छी नस्ल की बात आती है तो सबसे पहला नाम मुर्राह नस्ल की भैंस का. मुर्राह सबसे अव्वल मानी जाती है इस मामले में. देश में प्योर ब्रीड वाली भैंसों की कुल संख्या में मुर्राह की संख्या करीब डेढ़ करोड़ के आसपास है. वहीं मुर्राह नस्ल की भैंस पालने के मामले में सबसे पहला स्थान उत्तर प्रदेश का आता है. देश की कुल संख्या की बात की जाए तो अकेले 36 फीसदी नस्ल यहीं पाली जाती है.
वैसे तो मुर्राह भैंस का गृह क्षेत्र हरियाणा के दक्षिणी भागों तक फैला हुआ है, जिसमें रोहतक, जिंद, हिसार, झाझर, फतेहाबाद, गुड़गांव जिले और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली शामिल हैं. हालांकि, यह नस्ल देश के तकरीबन सभी हिस्सों में फैल गई है और यूपी में तो सबसे ज्यादा पाली जा रही है. इसे या तो शुद्ध रूप में पाला जा रहा है या स्थानीय भैंसों को उन्नत करने के लिए उन्नत नस्ल के रूप में उपयोग किया जा रहा है.
कितना करती है दूध उत्पादन
दरअसल, इसे बहुत ही अच्छी नस्ल की भैंस माना जाता है. दूध का उत्पादन अलग-अलग जगहों पर प्रबंधन और पर्यावरण की परिस्थितियों के आधार पर होता है. जिसके तहत जानवरों को पाला जाता है. बड़ी भैंस का एक ब्यात में औसत दूध उत्पादन 1800 किलोग्राम तक बताया जाता है. लंबे समय तक स्तनपान कराने वाली भैंसें आम तौर पर उच्च दूध उत्पादक होती हैं. मुर्राह भैंसें की एक और खासियत ये है कि वो अपनी लंबी उम्र और बाद के स्तनपान के दौरान भी लगातार दूध देने के लिए जानी जाती हैं.
मुर्राह भैंस की कितनी होती है उम्र
एक्सपर्ट की मानें तो पहले ब्यांत के समय औसत आयु 1,319 दिन होती है और पहली बार दूध देने की अवधि की औसत आयु 187.6 दिन जबकि समग्र स्तनपान के लिए 154.8 दिन होती है. सेवा अवधि पहली समानता में औसतन 177.1 दिन और समग्र समानता में 136.3 दिन है. मुर्राह में औसतन छह महीने की शुष्क अवधि होती है, जिसका ब्यांत अंतराल का प्रजनन और उत्पादन क्षमता दोनों पर सीधा असर पड़ता है. प्रजनन में इन भैंसों को मिश्रित प्रकार की आवास व्यवस्था में रखा जाता है. भैंसों को खुले में किसी पेड़ या खंभे से बांध दिया जाता है, लेकिन अत्यधिक मौसम की स्थिति के दौरान शेड में रखा जाता है. घर अच्छी तरह हवादार हैं और ज्यादातर कच्चे फर्श वाली पक्की दीवारों से बने होने चाहिए.
पढ़ें 10 राज्यों का आंकड़ा
मुर्राह भैंस को सबसे ज्यादा जिन राज्यों में पाला जा रहा है. उसमें पहला नंबर उत्तर प्रदेश का आता है. उत्तर प्रदेश में 5335707 की संख्या में मुर्राह भैंस पाली जाती है. वहीं राजस्थान में इनकी संख्या 2535621 है. झारखंड में 257534, हरियाणा में 1888523 की संख्या में मुर्राह भैंस का पालन किया जा रहा है. आंध्र प्रदेश में भी 588964 की संख्या में इस नस्ल की भैंस पाली जा रही है. वही महाराष्ट्र में इसकी संख्या 623890 मुर्राह भैंस की संख्या है. मध्य प्रदेश में 955333 है. वहीं वेस्ट बंगाल में इसकी संख्या 115337 है. जबकि पंजाब में 1098920 की संख्या में ये भैंस पाली जा रही है. जबकि तेलंगाना में इसकी संख्या 334904 है.
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