Home पशुपालन नेपियर घास को क्यों कहते हैं हाथी घास, इसे खिलाने से बढ़ जाएगा पशुओं का दूध
पशुपालन

नेपियर घास को क्यों कहते हैं हाथी घास, इसे खिलाने से बढ़ जाएगा पशुओं का दूध

Napier Grass, Animal Husbandry, Elephant Grass
Napier Grass

नई दिल्ली. नेपियर घास जिसे सदाबहार हरा चारा भी कहते हैं. ये एक बहुवर्षीय चारे की फसल है. इसके पौधे गन्ने की तरह लंबाई में बढ़ते हैं. पौधे से 40-50 तक कल्ले निकलते हैं, इसे हाथी घास के नाम से भी जाना जाता है.संकर नेपियर घास अधिक पौष्टिक एवं उत्पादक होती है. पशुओं को नेपियर के साथ रिजका, बरसीम या अन्य चारे और दाने एवं खली देनी चाहिए. बहुवर्षीय फसल होने के कारण इसकी खेती सर्दी, गर्मी व वर्षा ऋतु में कभी भी की जा सकती है. इसलिए जब अन्य हरे चारे उपलब्ध नहीं होते उस वक्त नेपियर घास का महत्व अधिक बढ़ जाता है.

पशुपालकों को गर्मियों में हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है. बरसीम, मक्का, ज्वार, बाजरा जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है. ऐसे में पशुपालकों को एक बार नेपियर बाजरा हाइब्रिड घास लगाने पर महज दो महीने में विकसित होकर अगले चार से पांच साल तक लगातार दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकती है. राजस्थान के बाड़मेर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ डा. राबता राम भाखर ने बताया कि नेपियर घास एक बहुवर्षीय हरा चारा है. इसमें प्रोटीन कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होती है इससे पशुओं के अंदर दूध की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाती है. इसके साथ फैट की मात्रा भी बढ़ती है. नेपियर हरे चारे की पूर्ति के लिए अच्छा विकल्प है. ये गर्मियों में हीट स्ट्रोक से पशुओं को बचाता है. साथ ही पशुओं के बांझपन, रिपीट ब्रीडिंग, और अन्य बीमारियों के लिए भी नेपियर चेहरा उपयोगी है.

इस मात्रा में देनी चाहिए नेपियर घास
नेपियर को हरे चारे में अकेला 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं देना चाहिए और कटिंग करके सूखे चारे के साथ मिक्स करके देना चाहिए. यह चारा पशुओं के लिए एक पोस्टिक आहार है और लगातार 7 से 8 साल तक तीनो सीजन वर्षा, गर्मी और सर्दी में इसकी कटिंग आती रहती है. इसलिए यह पशुओं के लिए बरदान साबित हो राय है.

नैपियर घास की उपयोगिता
नैपियर बाजरा अपनी वृद्धि की सभी अवस्थाओं पर हरा पौष्टिक तथा स्वादिष्ट चारा होता है जिसमें कच्ची प्रोटीन की मात्रा 8-11 प्रतिशत तथा रेशे की मात्रा 30.5 प्रतिशत होती है. सामान्यत 70- 75 दिन की उम्र पर काटे गए चारे की पचनीयता 65 प्रतिशत तक पायी जाती है. नैपियर घास में कैल्शियम 10.88 प्रतिशत तथा फॉस्फोरस 0.24 प्रतिशत तक पाया जाता है. नैपियर घास को अन्य चारे के साथ मिलाकर खिलाना लाभदायक होता है. इस चारे को पशुओं के लिए अधिक उपयोग बनाने के लिए साइलेज बनाकर खिलाना भी लाभदायक होता है.

इन प्रदेशों में अच्छे से हो सकती है नेपियर घास
नेपियर की खेती राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, असम, उड़ीसा, आन्धप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ठ, केरल, हरियाणा एवं मध्यप्रदेश में की जाती है. गर्म व नम जलवायु वाले स्थान जहां तापमान अधिक पाया जाता है.(240-280 सेल्सियस) वर्षा अधिक होती है. (1000 एमएम) तथा वायुमंडल में अद्रता अधिक रहती हो वे क्षेत्र नेपियर की खेती के लिए उत्तम माने जाते हैं. कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिचाई पड़ती है. अधिक ठंडी जलवायु में फसल की वृद्धि नहीं हो पाती है. पाला नेपियर के लिए हानिकारक होता है. यह घास कई प्रकार की मिट्टियों में उगाई जा सकती है. भटियार दोमट मिट्टी जिसमें प्रचुर जीवाशं पदार्थ उपस्थित हो इसके लिए सर्वोत्तम हाती है. जमीन का पीएच का मान 6.5 से 8.0 होना चाहिए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Fodder: नवंबर-दिसंबर में पशुओं के लिए हो जाएगी चारे की कमी, अभी से करें ये तैयारी

जब हरे चारे की कमी होगी तो उसके लिए साइलेज तैयार करने...

goat farming
पशुपालन

Goat Farming: बकरियों को गाभिन कराने की क्या है सही टाइमिंग, पढ़ें सही वक्त चुनने का फायदा

इन महीनों में बकरियों को गर्भित कराने पर मेमनों का जन्म अक्टूबर-नवम्बर...

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं को मिनरल सॉल्ट देने के क्या हैं फायदे, न देने के नुकसान के बारे में भी जानें

पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. पशुओं से भरपूर...