नई दिल्ली. गाय का दूध हमेशा से ही पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है. आज गाय की कई उन्नत नस्लों के चलते हर कोई पशुपालक अच्छी गायों को पालना चाहता है. गायों से कई तरह का उपयोग किया जाता है. वहीं ऐसी जलवायु जहां मौसम बेहद ठंडा रहता है, एक ऐसी गाय का पालन किया जाता है, जो दूध तो कम देती है, लेकिन उसके दूध में जबरदस्त फैट होता है. ये है लद्दाखी गाय. आइये आज जानते हैं इस नस्ल के बारे में. ये लद्दाख क्षेत्र में पाई जाने वाली एक गाय है. लद्दाखी गाय 2-5 किलोग्राम दूध देती है और यह विशेष रूप से कठोर सर्दियों के मौसम में प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. यह A2 दूध का एक अच्छा स्रोत है, जो स्थानीय आबादी के लिए प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत है.
गायों की वैसे तो कई नस्लें आजकल पशुपालन में पाली जाती हैं. पशुपालक गायों को दूध के लिए पाल रहे हैं. लेकिन उच्च ऊंचाई वाले ठंडे और शुष्क वातावरण में जीवित रहने के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित नस्ल है. लद्दाख (यूटी) के लेह और कारगिल जिले पाई जाती है. आइये इसकी खास बातें.
ये है लद्दाखी गाय की पहचान: लद्दाखी गाय काले या भूरे रंग का होती हैं. इसका शरीर छोटा होता है और पैर छोटे होते हैं, जो इसे पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त बनाते हैं. यह उच्च ऊंचाई वाले ठंडे और शुष्क वातावरण में जीवित रहने के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित है. यह A2 दूध का एक अच्छा स्रोत है, जो स्थानीय आबादी के लिए प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत है. स्थानीय समुदाय इसके दूध का सेवन ऐसे ही करते हैं या मक्खन और चुरपी (स्वाभाविक रूप से किण्वित डेयरी उत्पाद और प्रोटीन से भरपूर) जैसे उत्पाद बनाते हैं. यह उच्च ऊंचाई वाले मवेशियों के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल है.
कम ऑक्सीजन में ही रहने की क्षमता: यह एक छोटा कद और छोटा आकार का मवेशी है, जो अत्यधिक ठंडी जलवायु और कम ऑक्सीजन वाली परिस्थितियों के लिए अनुकूलित है. लद्दाखी मवेशी, लद्दाख क्षेत्र में पाई जाने वाली एक स्वदेशी गाय की नस्ल है, जो उच्च ऊंचाई वाले ठंडे और शुष्क वातावरण के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित है. लद्दाखी गाय 2-5 किलोग्राम दूध देती है और यह विशेष रूप से कठोर सर्दियों के मौसम में प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. यह A2 दूध का एक अच्छा स्रोत है. छोटे पशुपालकों के लिए ये बेहद अच्छी नस्ल मानी जाती है. इस नस्ल के पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद अच्छी होती है. ये कम आहार में भी पाली जाती हैं.
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