नई दिल्ली. देश में हलारी गधों की संख्या इतनी कम है कि इस दूध की उपलब्धता बेहद कम और मुश्किल भी है. आज हम आपको गधों की एक ऐसी नस्ल के बारे में बता रहे हैं जिसका दूध कॉस्मेटिक आइटम के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. गधे की ये नस्ल गुजरात में पाई जाती है. आइये जानते हैं हलारी गधा के बारे में. हलारी गधा के दूध का इस्तेमाल दवा और कॉस्मेटिक आइटम बनाने में किया जाता है. हलारी गधी का दूध 15 सौ से दो हजार रुपये लीटर तक बिक जाता है. एक दिन में अच्छी हेल्थ की हलारी गधी 800 ग्राम से लेकर एक लीटर तक दूध देती है. देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें गाय-भैंस और भेड़-बकरी के दूध से एलर्जी होती है. लेकिन गधी का दूध गाय-भैंस के दूध से बहुत ही बेहतर है. इतना ही नहीं छोटे बच्चों के लिए तो यह मां के दूध जैसा है.
वैसे तो सभी नस्ल की गधी का दूध अन्य जानवरों की अपेक्षा काफी महंगा होता है, लेकिन हलारी गधी का दूध दूसरी नस्ल की गधी के मुकाबले कई गुना ज्यादा महंगा होता है. गधी का दूध का प्रयोग दवाईयों के साथ-साथ कॉस्मेटिक आइटम बनाने के काम आता है. देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें गाय-भैंस और भेड़-बकरी के दूध से एलर्जी होती है. लेकिन गधी का दूध गाय-भैंस के दूध से बहुत ही बेहतर है. इतना ही नहीं छोटे बच्चों के लिए तो यह मां के दूध जैसा है.
हलारी गधा की ये होती है पहचान: आमतौर पर लोग गधों की नस्ल के बारे में नहीं जानते, मगर इनकी भी कई प्रमुख नस्लें होती हैं. अगर हम हलारी गधे के बारे में बात करें तो आमतौर पर सफेद रंग के होते हैं. मुंह और नाक के पास की जगह काली होती है. इनके खुर भी काले होते हैं. माथा ज्यादातर उभरा होता है. हलारी गधे का शरीर मजबूत और दूसरे गधों के मुकाबले आकार में बड़ा होता है. हलारी गधे की औसत ऊंचाई 108 सेमी और गधी की 107 सेमी होती है. गधे की औसत लंबाई 117 सेमी और गधी 115 सेमी की होती है. एक दिन में यह गधे 35 से 40 किमी तक का सफर तय कर लेते हैं.
हलारी गधा की खासियत: हलारी नस्ल के ज्यादातर गधे मालधारी समुदाय के ही पास हैं. पशुओं को माल और जो पशुओं के मालिक हैं उन्हें धारी कहा गया है. इन्हीं दो शब्दों को मिलाकर मालधारी बना है. मालदारी समुदाय खासतौर पर गुजरात के जामनगर, द्वारका और राजकोट में रहता है. ये समुदाय उत्तर प्रदेश राजस्थान से गया है. इनका पूरा जीवन यापन पशुओं के पालने पर ही निर्भर करता है. साल के 7 से 8 महीने यह लोग पशुओं को चराने के लिए घर से बाहर रहते हैं.
दूध की ये है खासियत: गधी के दूध में वसा की मात्रा कम होती है. इसमें वसा की मात्रा सिर्फ एक फीसद तक ही होती है. जबकि गाय-भैंस और मां के दूध में वसा की मात्रा तीन से छह फीसदी तक ही होती है. अगर दूध के उत्पादन दिनभर में एक गधी अधिकत्तम डेढ़ लीटर तक दूध देती है.
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