नई दिल्ली. ऊंट के बारे में ये मशहूर है कि वह रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है. यानी ज्यादातर ऊंट रेगिस्तान में ही मिलते हैं. ऊंट है, जो धरती पर नहीं बल्कि पानी में ज्यादा रहना पसंद करता है. दरअसल कच्छ में दो प्रकार के ऊंट पाए जाते हैं, जो कच्छी और खराई के नाम से जाने जाते हैं. गुजरात के इन ऊंटों की पहचान पूरे देश में है. आईए जानते हैं उनके बारे में. इनमें खराई ऊंट की इस प्रजाति को राष्ट्रीय मान्यता भी हासिल हुई है. यह कच्छ के तटीय गांव में पाया जाता है.
गुजरात के कच्छ जिले में पाई जाने वाली एक अनोखी ऊंट नस्ल है. यह ऊंट अपनी विशेषता से पहचाना जाता है, जो इसे दूसरे ऊंटों से अलग करती है. कच्छी ऊंट समुद्र में तैर सकते हैं, जो उन्हें कच्छ के तटीय क्षेत्रों में जीवित रहने के लिए अनुकूल बनाता है.
कच्छी ऊंट कच्छी ऊंट नमक दलदल में भी पनप सकते हैं, जो उन्हें एक अद्वितीय नस्ल बनाता है. कच्छी ऊंटों की संख्या कम हो रही है. कच्छी ऊंटों का उपयोग भार ढोने और कृषि कार्यों में किया जाता है. कच्छी ऊंट का दूध गुणकारी माना जाता है और इसका उपयोग आइसक्रीम, चॉकलेट और अन्य उत्पादों में किया जाता है.
खराई ऊंट की पहचान: खराई ऊंट की नस्ल कई मायनों में खास होती है, क्योंकि यह ऊंट अपना भोजन पानी के लिए रेगिस्तान में नहीं बल्कि पानी में जाता है. या समुद्र को पार कर सकता है. इस ऊंट का मुख्य भोजन चेर नाम का समुंद्री पौधा है, जो समुद्री तट पर पाया जाता है. जिसे खाने के लिए यह ऊंट समुद्र के पानी में रहना पसंद करता है.
खराई की खासियत: इस नस्ल के ऊंट को समुद्र में जाना वहां की वनस्पति खाना बेहद पसंद होता है. खराई ऊंट अकेले ही समुंद्र में डेढ़ से 2 किलोमीटर तक तैर सकता है. यह भोजन के लिए चेरिया जो एक प्रकार की वनस्पति है जो जंगलों में मिल जाती है उसे खाता है. कच्छ में खराई ऊंट खाड़ी क्षेत्र में भचाऊ तालुका के चिराई से लेकर वोंध, जंगी अंबलियारा और सूरजबड़ी तक पाए जाते हैं.
इन महीनों में सबसे अधिक होता है दूध उत्पादन: मई, जून, जुलाई और अगस्त के महीने में जब तापमान ज्यादा व आर्द्रता होती है, इस समय ऊंटनियों में दूध उत्पादन अधिक होता है, इसके विपरीत अन्य पशुओं में दुग्ध कम हो जाता है. दूध उत्पादन के लिए अन्य पशुओं की तुलना में कम पोषण एवं आवास सुविधा की आवश्यकता होती है. ऊंट की नस्लों में कच्छी नस्ल में सबसे अच्छी डेयरी क्षमता है. इसने 1500 किलोग्राम के झुंड के औसत के मुकाबले लगभग 2000 किलोग्राम दूध उत्पादन दर्ज कराया है.
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