नई दिल्ली. अक्सर पोल्ट्री शब्द को मुर्गियों का पर्यायवाची शब्द माना जाता है, इसमें पक्षियों की कई पालतू प्रजाति जैसे कि मुर्गी, बत्तख ईमू, हंस, हंस गिनी मुर्गी, जापानी बटेर, शुतुरमुर्ग, कबूतर, रिया इत्यादि शामिल होते हैं. अधिकतर प्रजाति कई तरह की कृषि जलवायु में अच्छी तरह से फलती-फूलती हैं और इन्हें न्यूनतम आवश्यकताओं के साथ कम से कम प्रबंधन के साथ तथा पोषक तत्वों की जरुरतों को पूरा करते हुए दुनिया में कहीं भी सफलतापूर्वक शुरू किया जा सकता है. वहीं कश्मीर घाटी में पाए जाने वाला घरेलू हंस भारत में घरेलू हंस की एकमात्र प्रजाति है. इसका नाम है कश्मीर अंज गीज. आइये आज बात करते हैं इसके बारे में. ये श्रीनगर, बारामुला, बड़गाम, बांदीपोरा और गंदेरबल में पाए जाते हैं.
कश्मीर घाटी में पाया जाने वाला घरेलू हंस भारत में घरेलू हंस की एकमात्र प्रजाति है. इसे “कश्मीर अंज” घोषित किए जाने के बाद से यह भारत में घरेलू हंस की पहली और एकमात्र नस्ल बन गई है. कश्मीर घाटी में हंस पालन का चलन प्राचीन काल से चला आ रहा है. कश्मीर के जलाशयों के पास की आबादी इसे बड़े चाव से पालती है. कश्मीर घाटी की तीन प्रमुख झीलों डल, विल्लार और अंचार के आसपास के इलाकों में हंस पालन किया जाता है. जबकि गंदेरबल जिले, सिंध, बडगाम, बारामुला, बांदीपोरा जैसे जिलों और होकरसर और नरकरा वेटलैंड्स के आसपास के इलाकों में भी हंस पालन किया जा रहा है.
कहां पाए जाते हैं कश्मीर अंज गीज: जैसा कि नाम में शामिल है कश्मीर अंज गीज. ये श्रीनगर, बारामुला, बड़गाम, बांदीपोरा और गंदेरबल जिले में ही सीमित रह गए हैं. इनकी पहचान सफेद और दालचीनी रंग के पंखों से होती है. नर में गहरे भूरे रंग का पंख होता है और नारंगी रंग की पतली चोंच होती है. वहीं लंबी बेलनाकार गर्दन होती है. नारंगी रंग की टांग होती है.
हंस की दो प्रजातियों की पहचान: बताया गया है कि हंस की दो प्रजातियों की पहचान की गई है. सफेद हंस का नाम ‘व्हाइट एन्ज़ा’ है और दालचीनी रंग का हंस कचूर एन्ज़ा है. कश्मीरी हंसों में भी दो तरह के बच्चे होते हैं, पीले पंख वाले और गहरे पीले पंख वाले. पीले रंग का बच्चा सफेद एन्ज़ में और काले पीले रंग का बच्चा कचूर एन्ज़ में बढ़ता हुआ दिखाई देता है. एक्सपर्ट के अनुसार एन्ज़ को उसकी शक्ल, बनावट, स्वाद और स्वीकार्यता के लिए अच्छा माना गया है.
घट रही है आबादी: एकमात्र घरेलू हंस प्रजाति होने के बावजूद, उनकी घटती आबादी गंभीर स्तर पर पहुच रही है. हालांकि इनकी आबादी में तेजी से गिरावट आई है. अब वे बांदीपुरा के वोलर, गंदेरबल झील और अन्य जिलों में पाए जाते हैं. श्रीनगर में सोरा के अंचार इलाके में बड़ी संख्या में हंस पाए जाते थे, जहां अब उनकी संख्या कम होती जा रही है.
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