नई दिल्ली. कुक्कुट पालन करने वाले लोगों के लिए बटेर पालन एक फायदेमंद सौदा साबित हो सकता है. क्योंकि बटेर एक ऐसा पक्षी है, जिसके मांस और अंडों की मांग बाजार में लगातार बनी रहती है. क्योंकि इसमें पौष्टिकता के तमाम गुण पाए जाते हैं. जिसके कारण बटेर का मांस काफी महंगा मार्केट में मिलता है. जिससे बटेर पलकों को अच्छी खासी कमाई हो जाती है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बटेर के मांस में प्रोटीन की मात्रा 25% तक होती है. जबकि इसका प्रोटीन बहुत अच्छा माना जाता है. रही बात बटेर के अंडों की तो इसके अंदर है 41 तत्व पाए जाते हैं. वैसे तो बटेर की आर्थिक उम्र ज्यादा नहीं मानी जाती है. ये 60 हफ्तों तक कमाई देती हैं. हालांकि जंगली बटेर 5 से 6 साल तक अंडे दे सकती हैं.
काफी महंगा तो है मीट
आईवीआरआई बरेली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राज नारायण कहते हैं कि बटेर से तकरीबन 5 से 6 तरह के उत्पाद बनाए जा सकते हैं. हालांकि इसके उत्पादों को बनाने के लिए प्रशिक्षण की जरूरत होती है और उनके संस्थान में ये प्रशिक्षण दिया जाता है. बटेर के अंडे का अचार बहुत अच्छी रेसिपी मानी जाती है. वही बड़े होटलों के सामने इसके उत्पाद बनाकर आप ट्रेनिंग हासिल कर इसके उत्पाद भेज सकते हैं. उन्होंने कहा कि बटेर के मांस की मुर्गी के मांस से तुलना की जाए तो ये काफी महंगा मिलता है. जहां चिकन मीट दो से ढाई सौ रुपए किलो मिलता है तो वहीं बटर के मीट की की कीमत 1000 से 1200 रुपये किलो तक होती है. जबकि मौसम के हिसाब से इसके दाम घटते बढ़ते रहते हैं.
सरकार उपलब्ध कराती है सब्सिडी
बटेर पालन की व्यवसाय को शुरू करने के लिए ज्यादा रकम की जरूरत नहीं होती है. फिर भी अगर आपके पास प्रयाप्त धन नहीं है तो सरकार की ओर से सब्सिडी का प्रावधान है. नाबार्ड से इसकी 30 लख रुपए की स्कीम चलाई गई थी. जिसमें 10% किसान को देना था, जबकि 27 लाख नाबार्ड को देना था. देश में बटेर के दो बड़े बाजार हैं. दक्षिण भारत में चेन्नई में और उत्तर भारत में गाजीपुर में बड़ा बाजार है. उत्तर प्रदेश में के हरदोई जिले के मल्लावां सीट से दो बार विधायक रहे सतीश वर्मा भी बटेर पालन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत आईवीआरआई इज्जत नगर से उन्होंने की. उस समय वो विधायक के तौर पर आईवीआरआई के कार्यक्रम में गए थे. जहां वो बटेर पक्षी से रूबरू हुए. शुरू में उन्होंने प्रयोग के तौर पर बटेर का पालन किया था. बाद में इसी को व्यवसाय बनाने का फैसला कर लिया. आज उनके पास 23 करोड रुपए का कुक्कुट पालन सेटअप है. हालांकि बटेर के अलावा वो अन्य पक्षियों को भी पालते हैं.
10 रुपये में मिलता है चिक्स
उन्होंने कहा कि कमाई के मामले में छोटा सी बटेर सबपर भारी है. बटेर के चिक्स को को 10 रुपये में वो खरीदते हैं. उसके तैयार होने में 30 या 35 दिन लग जाते हैं. इसे फिर बेचते हैं तो वह 40 से 50 में रुपये में बिक जाती है. इस बीच में 600 से 650 ग्राम दाना खाती है. दाने की कीमत 20 रुपये के आसपास होती है. वैसे तो इसकी बड़ी आसानी से 50-60 रुपए कीमत मिल जाती है लेकिन बटेर को 80 से 100 तक में बेचा जा सकता है. सतीश वर्मा बटेर के लिए दाने अपने फार्म में तैयार कराते हैं. इसलिए उन्हें बटेर के लिए सस्ता आहार मिल जाता है. वह हरा चारा भी उपलब्ध कराते हैं. जिसमें मोरिंगा, मीठी नीम, घास, गेंदा और हरी सब्जी तक शामिल है. यहां तक की घर का बचा खाना भी पक्षियों को दिया जाता है. इस तरह का खाना देने से इसके खाने की लागत को 10 फीसदी तक घटाया जा सकता है.
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