नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में लेयर मुर्गियों से अंडे हासिल किए जाते हैं और उन्हें बेचकर पोल्ट्री फार्मर कमाई करते हैं. वही अंडों की खपत भारत में दिन-ब-दिन बढ़ रही है और लोग पहले के मुकाबले ज्यादा अंडे खा रहे हैं. इससे पोल्ट्री सेक्टर को और ज्यादा ग्रो कर रहा है. जबकि इससे जुड़े लोगों को इसका सीधे तौर पर फायदा मिलता है. पशुपालन मंत्रालय की रिपोर्ट की मानें तो बीते साल तक देश में प्रति व्यक्ति के हिस्से 101 अंडे आते थे. यानि औसतन साल में एक व्यक्ति 101 अंडा खाता था लेकिन इस बार ये नंबर बढ़ गया है. 4 दिसंबर को जारी की गई नई रिपोर्ट के मुताबिक इस साल यह संख्या बढ़कर 103 अंडे तक पहुंच गई है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2022-23 में 14 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन किया गया था. जबकि इस साल 14 हजार 300 करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ है. भारत में इस साल 300 करोड़ का उत्पादन ज्यादा हुआ है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पोल्ट्री सेक्टर तेजी से ग्रोथ करने वाला सेक्टर है.
अंडे देने वाली मुर्गियों के बारे में जानें यहां
जान लें कि कड़कनाथ, ब्लैक चिकन नस्ल की मुर्गियों के अंडे काफी महंगे बिकते हैं. कड़कनाथ मुर्गी का अंडा एक अंडा 30 से 50 रुपए में मिलता है.
कड़कनाथ मुर्गी कम अंडों का उत्पादन करती है. कड़कनाथ मुर्गी साल में करीब 60 से 80 ही अंडे देती है. जबकि अन्य मुर्गियां 280 से 300 अंडों का उत्पादन करती हैं.
कड़कनाथ मुर्गी का अंडा ज्यादा महंगा बिकता है. वहीं असील मुर्गी भी साल में 60 से 70 अंडों का उत्पादन करती है.
असील मुर्गी का एक अंडा 100 रुपए में बिकता है. असील मुर्गी का अंडा क्रीम से भरे हुए रंग का होता है और इसका वजन करीब 40 ग्राम होता है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि असील अंडे की कीमत इसलिए ज्यादा होती है, क्योंकि इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं.
वहीं वनश्री मुर्गी देसी नस्ल में गिनी जाती है और ये मुर्गी साल में 180 से 190 अंडे देती है.
ग्रामप्रिया नस्ल की मुर्गी की बात की जाए तो ये मुर्गी 160 से 180 अंडों का उत्पादन करती है.
सरहिंदी नस्ल की मुर्गी साल में 140 से 150 अंडों का उत्पादन करती है. घाघुस 100 से 115 र्अडे देती है.
वन राजा नस्ल की मुर्गी साल में सिर्फ 100 से 110 संडे का उत्पादन करती है.
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