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Poultry Farming : पोल्ट्री फार्म खाेलने के लिए बेहद जरूरी हैं ये जानकारियां, जानिए कैसे बढ़ेगी इनकम

layer hen breeds
फीड खाती मुर्गियों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. अगर आप पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़ना चाह रहे हैं और मुर्गी फार्म खोलने का इरादा रखते हैं तो आपको यह मालूम होना चाहिए कि मुर्गी फार्म खोलने में क्या-क्या सावधानियां बरती जाए. फार्म खोलने और अच्छे से मुर्गी पालन करने को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर ने कुछ टिप्स जारी किए हैं. जिसमें बताया गया है कि मुर्गी का घर वर्टिकल पूरब से पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए. इसमें सूरज की रोशनी से गर्मी कम पड़ेगी. दो मुर्गी के घरों के बीच कम से कम 15 मीटर की दूरी भी रखने का सुझाव दिया गया है. इसी तरह मुर्गी फार्म के बीच कम से कम 1 से 2 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए. हैचरी से मुर्गी घर के बीच कम से कम 500 मीटर की दूरी होनी चाहिए.

जैव सुरक्षा रोग पैदा करने वाले कीटाणु को मुर्गी फार्म में प्रवेश रोकने के लिए एक फार्म के दूसरे फॉर्म में फैलने से बचने के लिए अपनाए गए उपायों का दूसरा नाम है. इसका उद्देश्य हानिकारक और संक्रमित करने वाले कीटाणुओं की संख्या को कम करना है और मुर्गियों में संक्रमण को पनपने से रोकता है. पोल्ट्री की दुनिया में जैव सुरक्षा का महत्व बहुत अधिक है. यह पक्षियों को गंभीर रोग से बचते हैं. यह उपाय सुनिश्चित करते हैं कि किसान अपनी आय रोजी-रोटी के स्रोत को न खो दें.

कैसे मुर्गियों में फैलता है रोग: मुर्गियों का अधिकतर रोग एक फार्म से दूसरे फॉर्म तक प्रदूषित संदूषित व्यक्तियों, वाहनों से फैलते हैं. हवा की धूल कर्ण से भी संबंधित रोग भी हो जाते हैं. हैचरी से भी रोग फैलने की आशंका रहती है. इसमें फंगस का संक्रमण, एस्परजिलोसि और स्टैफाइलोकोकस फॉक्स जनित रोग भी होता है. वन जीवो और घुमक्कड़ पशुओं द्वारा भी संक्रमण फैलता हैं. बाह्य परजीवी जैसे मक्खी, मच्छर आदि से भी रोग फैलता है. प्रदूषित दाने के बैग, वाहन एवं मुर्गी फार्म के बिछावन लकड़ी का बुरादा आदि भी बीमारी फैलने के माध्यम है. संक्रामक रोगों से युक्त हुई मुर्गियों को कई रोगों के वाह का कार्य करती हैं.

बीमारी से बचाने के लिए क्या करना चाहिए: जैव सुरक्षा उपाय फॉर्म की संरचना से जुड़ी हुई होती है. मुर्गी फार्म में जगह, मुर्गी घर निर्माण के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. मुर्गी का घर वर्टिकल में पूरब से पश्चिम दिशा में होना चाहिए. इससे सूरज की रोशनी कम आती है, दो मुर्गी घर में काम से कम 15 मीटर की दूरी रखनी चाहिए. दो मुर्गी फार्म के बीच कम से कम 1 से 2 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए. हैचरी इकाई और मुर्गी घर के बीच कम से कम 500 मीटर की दूरी हो.

फार्म में फर्श को कैसा बनाएं: मुर्गी का फर्श कंक्रीट का बना होना चाहिए. जिससे साफ सफाई सोडा से धुलाई आसान हो सके. इसके अलावा कंक्रीट की फर्श में चूहे अपना घर नहीं बना पाते हैं. मुर्गी का घर जमीन से कम से कम 2 से 3 फीट ऊंचाई पर होना चाहिए. जिससे कि बारिश का पानी अंदर न सके. मुर्गी के आसपास पेड़ पौधे नहीं लगाने चाहिए क्योंकि यह वन पशु के रहने लगते हैं. इससे मुर्गियों को नुकसान होता है. उनसे भी कई रोग मुर्गियों में जल्द से लग जाते हैं.

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