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Poultry: नाम के किसान हैं पोल्ट्री फार्मर, बिजली मिलती है कॉमर्शियल रेट पर, छोटे संचालक बड़ी परेशानी में

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पोल्ट्री फार्म का प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. लगातार महंगी हो रहीं बिजली की दरों ने आम आदमी ही नहीं बल्कि उद्योग जगत को भी परेशानी में डाल रखा है. इसका असर पोल्ट्री फार्मर भी पर पड़ रहा है. इतना ही नहीं सरकारें किसानों को कभी फ्री बिजली देने का दावा करती हैं तो कभी कम रेट पर लेकिन हकीकत में ऐसा है नहीं. ये पोल्ट्री फार्मर सिर्फ नाम के फार्मर हैं लेकिन उन्हें बिजली मिलती है कामर्शियल रेट पर है, वो भी 24 घंटे आपूर्ति नहीं की जाती. ऐसे में इसका असर मुर्गी पालन पर बुरी तरह से पड़ता है.सरकारें भी इस ओर ठीक से ध्यान नहीं देती हैं जबकि भारत अंडा उत्पादन में दुनिया में दूसरे पर आता है तो चिकिन में पांचवे नंबर पर. पोल्ट्री फार्मर की मानें तो भारत में हर रोज करीब 25 करोड़ अंडे का उत्पादन होता है.बावजूद इसके सरकारें सस्ती दरों पर बिजली मुहैया नहीं करा रही, जिससे मुर्गी पालक परेशान हैं.

विश्व में दूसरे नंबर पर अंडा उत्पादन
भारत में मुर्गी पालन लगातार बढ़ता जा रहा है. पोल्ट्री का कारोबार देश ही नहीं दुनिया में नई इबारत लिख रहा है. पोल्ट्री फार्मर सेक्टर ने अपने दम पर 2.5 लाख करोड़ का कारोबार खड़ा करके देश ही नहीं पूरी दुनिया में डंका बजा दिया है. यही कारण है ये भारत अंडा उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर तो चिकन पांचवे नंबर पर पहुंच गया है. बावजूद इसके इस सेक्टर को सरकार का साथ नहीं मिल रहा. सरकार को चाहिए कि वापे बिजली की कीमतों को करे. इस सेक्टर के लोगों को वैसे तो फार्मर कहा जाता है लेकिन किसानों को मिलने वाली सुविधाओं से इन्हें दूर रखा जाता है. दिनोंदिन महंगी हो रही बिजली ने मुर्गी पालकों के लिए कई तरह की समस्याएं खड़ी कर दी हैं. इसमें छोटे मुर्गी पालकों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

पोल्ट्री की कैटेगरी अभी तक तय नहीं
गर्मी ही नहीं सर्दियों में भी पोल्ट्री फार्म के लिए 24 घंटे बिजली आपूर्ति बेहद जरूरी है. मुर्गियों को बाहरी तापमान से बचाने के लिए पोल्ट्री फार्मर को बिजली की खासी जरूरत होती है. इस बारे में पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि कहने के लिए हमें पोल्ट्री फार्मर कहा जाता है, मगर हमें कॉमर्शियनल रेट पर बिजली मुहैया कराई जाती है, जिससे छोटे मुर्गी पालकों के लिए बड़ी दिक्कतें दरपेश आती हैं. सरकार पोल्ट्री फार्म में बिजली कनेक्शन कमर्शियल लगाती है, लेकिन पोल्ट्री किस कैटेगरी में आती है ये नहीं बताती. अब एक प्रश्न ये भी उठता है कि सरकारें इस ओर कोई कदम क्यों नहीं उठाती हैं जबकि मुर्गी पालक हर केंद्र और राज्यों की सरकारों से इस बारे में मांग करते हैं.

फार्म में चलाने पड़ते हैं कूलर—पंखे
कुछ लोग सोचते हैं कि मुर्गा-मुर्गी को गर्मी नहीं लगती लेकिन ऐसा नहीं है, उन्हें भी पंखे-कूलर की जरूरत है.पोल्ट्री फार्म संचालक मनीष शर्मा कहते हैं कि वैसे तो मुर्गियों को 28 से लेकर 30 डिग्री तक तापमान की जरूरत होती है लेकिन एक-दो डिग्री ऊपर-नीचे है तो मुर्गियां अपने को संतुलित कर लेती हैं.मगर, इससे ज्यादा या कम हो गया तो फिर उन्हें परेशानी होने लगती है. यही वजह है कि मुर्गियों को परेशानी न हो इसलिए फार्म संचालक कई इंतजाम करते हैं. जैसे गर्मियों में कूलर और पंखे चलाते हैं. वहीं सर्दियों में मुर्गियों को ठंड से बचाने के लिए उन्हें हीट दी जाती है. इसके लिए ब्रूडर चलाए जाते हैं. ब्रूडर बिजली से चलता है. हालांकि कुछ लोग महंगी बिजली से बचने के लिए कोयले भी जलाते हैं.

उन्होंने बताया कि एक पोल्ट्री फार्म में तीन खास काम के लिए बिजली की जरूरत होती है. पहली कूलर-पंखा और ब्रूडर के लिए, सुबह और रात को फार्म में रोशनी करने के लिए. वहीं अगर किसी के फार्म पर फीड बनाने की मशीन लगी है तो उसके लिए. तीनों ही काम पूरी तरह फार्म से जुड़े हैं.लेकिन बिजली और बिजली कनेक्शन उसे एग्रीकल्चर रेट पर नहीं मिलता है.

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