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Poultry: किस तरह का चिकनपॉक्स मुर्गियों के लिए है सबसे खतरनाक, लक्षण और इलाज के बारे में भी पढ़ें यहां

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अंकलेश्वर नस्ल की फोटो.

नई दिल्ली. देसी मुर्गियों में चेचक की बीमारी एक आम व रानीखेत के बाद दूसरी प्रमुख बीमारी है. इससे बीमार सभी छोटे चूजों की मौत हो जाती है. बड़ी मुर्गियों तो कम मरती हैं लेकिन उनकी हैल्थ पर बुरा असर पड़ता है. चेचक एक वायरस से होने वाली बीमारी है और इसके चलते इसका इलाज नहीं हो सकता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली कहते हैं कि वैक्सीनेशन ही इसका एकमात्र बचाने का उपाय है. ये बीमारी मुर्गियों में रहती ही हैं. इस कारण बीमारी से बचने के लिए नियमित वैक्सीनेशन करना बेहद ही जरूरी काम है.

जानकारी के लिए बता दें कि चेचक के तीन रूप हैं. स्किन पर होने वाली चेचक, गले का चेचक और आंखों का चेचक. इनके बारे में जानना भी बेहद ही अहम है, तभी मुर्गियों को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है.

स्किन चिकनपॉक्स
ये किस्म सबसे अधिक देखने को मिलती है. चेचक छोटे-छोटे मटमैले छालों की तरह दाने कलगी और पंख रहते हिस्सों पर उभर आते हैं. जल्दी से बढ़ जाते हैं और पपड़ी बन जाते है. फिर आपस में जुड़ जातें है व चेचक का रूप ले लेते हैं. फैलते-फैलते नाक पर, आंख पर और चोंच के दोनो किनारों पर भी आ जाते हैं. ये चेचक 3 या 4 हफ्ते तक रहकर झड़ जाते हैं. छोटे चूजों की 3-4 सप्ताह फीड खाने में मुश्किल होती है और इसके कारण मृत्युदर दिखाई देती है. बड़ी मुर्गियों मौत तो नहीं होती लेकिन हैल्थ पर बड़ा बुरा असर पड़ता है. वहीं वजन व अंडा उत्पादन में बहुत कमी आ जाता है.

गले का चिकनपॉक्स
गले का चिकनपॉक्स सबसे ज्यादा नुकसानदेह है. इससे छोटे चूजों व बड़ी मुर्गियां की समान रूप से मौत होती है. गले वाली चेचक मे मुंह व गले के अन्दर उभरे हुए छाले हो जाते हैं, जो बड़े होकर और गहरे हो जाते हैं. जिसके कारण मुर्गिया अच्छी तरह खा नहीं पाती व उनकी हालत जल्दी बिगड़ जाती है और उनकी मौत होने लग जाती है.

आंखों का चेचक
इस किस्म में बीमारी का प्रभाव आंखों में दिखता है. आंखो में पानी आने लगता है जो बाद में गाढ़ा हो जाता है, आखें पीप से भर जाती है और फल आती है. पलक चिपक जाती हैं और मुर्गी देख नहीं पाती. इसके चलते भूख से मौत हो जाती है. यह जानना जरूरी है कि एक ही समय में अलग-अलग मुर्गियों में तीनों किस्में देखी जा सकती हैं. छालों या फफोलों पर कोई एक अच्छा एन्टीबायोटिक मल्हम लगाकर बीमारी की तीव्रता को कम किया जा सकता है, लेकिन इस बीमारी का कोई सीधा इलाज संभव नहीं है. बीमारी न होने से पहले नियमित टीकाकरण ही बचाव का एकमात्र सही और सस्ता उपाय है.

बचाव के लिए वैक्सीनेश है जरूरी

  1. चूजों एवं बड़ी मुर्गियों को यह वैक्सीन लगाना चाहिए.
  2. एक शीशी (वायल) वैक्सीन द्रव्य से 100 चूजों या मुर्गियों को टीका लगाया जा सकता है.
  3. वैक्सीन को बर्फ में रखें और 2 घंटे के अंदर इस्तेमाल कर लें.
  4. चेचक टीका का 0.5 एमएल वैक्सीन इन्जेक्शन द्वारा मांस में लगाई जाती है.
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