नई दिल्ली. पोल्ट्री इंडस्ट्री में मक्का अहमियत और लगातार इसके बढ़ते दाम ने इंडस्ट्री के जिम्मेदारों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. पोल्ट्री बढ़ते दाम के चलते अंडा और चिकन उत्पादन की लागत में लगातार इजाफा हो रहा है, इसके चलते पोल्र्टी फार्मर्स को नुकसान हो रहा है. इस मसले का हल निकालने के लिए पोल्ट्री फेडरेशन आफ इंडिया की ओर से लगातार कोशिश जारी है. जिसको लेकर पीएफआई की यूएस ग्रेन काउंसिल और यूपी डिस्टिलर्स एसोसिएशन (डीडीजीएस के निर्माता) के साथ बैठक हुई. जहां इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई और रास्ते तलाशे गए, ताकि पोल्ट्री इंडस्ट्री इससे होने वाली मुश्किलों से निकाला जाए.
दिल्ली में एक संयुक्त बैठक में हुई चर्चा के बारे बताते हुए पोल्ट्री फेडरेशन आफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल ढांडा ने कहा कि मक्का के बढ़ते दाम ने पोल्ट्री सेक्टर का दम निकाल दिया है. पोल्ट्री फीड के रेट लगातार बढ़ रहे हैं. जिसके चलते अंडे-चिकन की लागत भी बढ़ रही है. वहीं इसका सीधा असर पोल्ट्री फार्मर पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इसी का समाधान निकालने के लिए पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया, यूएस ग्रेन काउंसिल और यूपी डिस्टिलर्स एसोसिएशन (डीडीजीएस के निर्माता) एक प्लेटफार्म पर आए हैं.
क्वालिटी पर रखना होगा कंट्रोल
रनपाल ढांडा ने बताया कि इस बात पर चर्चा की गई है कि कैसे इथेनॉल प्लांट से निकलने वाले कचरे (डीडीजीएस) को पोल्ट्री फीड में शामिल किया जाए. उन्होंने बताया कि इसके लिए पीएफआई की तरफ से कुछ सुझाव भी दिए हैं. वहीं डिस्टिलर्स एसोसिएशन की ओर से पीएफआई को प्लांट का दौरा का अनुरोध भी किया गया है. ताकि डीडीजीएस के इस्तेमाल का कोई रास्ता निकाला जा सके. वहीं पीएफआई के प्रेसिडेंट ने डीडीजीएस निर्माताओं को पोल्ट्री में जरूरतों के बारे में जानकारी दी और कहा कि अगर डीडीजीएस का उपयोग पोल्ट्री फीड फॉर्मूलेशन में किया जाना है, तो गुणवत्ता पर सख्त नियंत्रण होना चाहिए.
पीएफआई के पैरामीटर्स को सराहा
उन्होंने कहा कि खासकर एफ्लाटॉक्सिन टॉक्सिन का स्तर 20 पीपीबी से कम और नमी 12 से कम होनी चाहिए. उन्होंने इस दौरान कहा कि यदि डीडीजीएस निर्माता निरंतर गुणवत्ता प्रदान करते हैं, तो पोल्ट्री फीड में डीडीजीएस के उपयोग की गुंजाइश है. वहीं इस संयुक्त बैठक में यूपी डिस्टिलर्स एसोसिएशन के महासचिव रजनीश अग्रवाल ने पीएफआई टीम को अपने सदस्यों के इथेनॉल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया और पीएफआई टीम द्वारा सुझाए गए पैरामीटर्स की सराहना की. गौरतलब है कि पोल्ट्री फीड में सबसे ज्यादा इस्तेमाल मक्का का होता है. जबकि अब मक्का से इथेनॉल बनाया जा रहा है, जिसके बाद से मक्का महंगी होती जा रही है. जिससे पोल्ट्री सेक्टर मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है.
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