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Poultry Disease: मुर्गियों की इस बीमारी में दिल के आसपास भर जाता है पानी, जानें क्या है इलाज

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पोल्ट्री फार्म का प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. मुर्गियों की कई गंभीर बीमारियों में से एक लीची रोग भी है. इस बीमारी का साइंटिफिक नाम हाइड्रोपेरिकार्डियम सिंड्रोम (Hydropericardium Syndrome) है. राजस्थान के पशुपालन विभाग (Department of Animal Husbandry of Rajasthan) के एक्सपर्ट कहते हैं कि ये मुर्गियों की गंभीर बीमारी है और इसमें बर्ड की हैल्थ और उत्पदकता पर बेहद ही बुरा असर पड़ता है. बीमारी में मुर्गियों के हार्ट के आसपास पानी भर जाता है और इसके चलते दिल लीची जैसा दखिने लग जाता है. इसी वजह से इसे लीची रोग नाम दिया गया है. इस बीमारी में मृत्युदर ज्यादा दिखाई देती है और 12-20 सप्ताह की मुर्गियों को ये बीमारी प्रभावित करती है.

इस बीमारी में कितनी फीसद है मृत्युदर
ये चूजों की एक संक्रामक बीमारी है, जिसमें मुर्गियों का दिल प्रभावित होता है.

लीची रोग में मुर्गियों में मौत का मामला देखा जाए तो मृत्यु दर 100 प्रतिशत तक हो सकती है.

किस वजह से होती है ये बीमारी
यह बीमारी विषाणु (एडीनो वायरस समूह) से जनित मानी जाती है.

प्रसार कैसे होता है इस बीमारी का
इस बीमारी का प्रसार खाने-पीने के बर्तनों द्वारा होता है. इसलिए इसकी सफाई बेहद ही जरूरी है.

लीची रोग के लक्षणों के बारे में जानें
यह बीमारी आमतौर पर 3-6 सप्ताह के उम्र के चूजों में ज्यादा होती है.

इस बीमारी का असर सबसे जयादा ब्रॉयलर चूजों में देखा जाता है.

इस बीमारी से ग्रसित चूजे सुस्त एवं उदास हो जाते हैं.

बीमारी में चूजों में बिना किसी लक्षण के अत्यधिक मृत्यु दर हो जाती है.

चूजे आंख बंद कर सीने एवं चोंच को जमीन पर रखकर एक विशेष मुद्रा में बैठते हैं.

दिल के चारों ओर जैलीनुमा पानी भर जाता है तथा दिल (हृदय) छिले हुएलीची के फल जैसे दिखने लगते हैं.

मुर्गी के गुर्दे भी खराब हो जाते हैं.

मुर्गियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

इलाज क्या है बीमारी का
लीची रोग से बचाव व रोकथाम के लिए एचपी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है.

राजस्थान के पशुपालन विभाग की मानें तो एचपी वैक्सीन का इस्तेमाल 7 दिन के चूजे में किया जाना चाहिए.

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