नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग से आपको अच्छी कमाई हो सकती है. अगर आप पोल्ट्री फार्मिंग करते हैं तो लाखों रुपए कमा सकते हैं. पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियों को अंडा उत्पादन और मीट उत्पादन के लिए पाला जाता है. लेयर नस्ल की मुर्गियां अंडों का उत्पादन करती हैं और मार्केट में बिकने वाले सफेद अंडे उन्हीं मुर्गियों से उत्पादित होते हैं. वहीं ब्रॉयलर मुर्गों को मीट के लिए पाला जाता है. मार्केट में 150 रुपए किलो तक बिकने वाले चिकन इन्हीं मुर्गों से हासिल होते हैं. इन दोनों ही काम से अच्छी खासी कमाई होती है.
अगर आप भी पोल्ट्री फार्मिंग का काम शुरू करके मालामाल होना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है. हम आपको मुर्गियों की कुछ ब्रीड के बारे में यहां बताने जा रहे हैं, जिससे पोल्ट्री फार्म का बिजनेस शुरू करेंगे तो आपको बेहतर कमाई होगी. एक्सपर्ट कहते हैं कि नस्लों की जानकारी इस व्यापार को प्रोडक्टिव बनती है. जिससे आपको मुनाफा होता है. कुछ खास नस्लों की मुर्गियों के बारे में यहां जानना चाहते हैं तो इस खबर को पूरा पढ़ें.
अंडों और मीट के लिए पालें इस नस्ल को
चटगांव मलय पोल्ट्री नस्ल ऊंचाई में ऊंची होती है. इस नस्ल के मुर्गे 2.5 फीट तक लंबी और 3.5 किलो तक वजन रखते हैं. उनकी पीकॉम्ब छोटी और गर्दन लंबी होती है. इस नस्ल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इनका पालन मीट और अंडे दोनों की आपूर्ति के लिए किया जाता है. मुर्गों का भार 4 से 5 किलो तक होता है. वहीं मुर्गियों का भार ढाई से 4 किलो तक हो सकता है.
महंगे बिकते हैं, इस मुर्गी के अंडे
असील नस्ल की मुर्गी इंडियन ब्रीड है. इसके अलावा ईरान में भी पाई जाती है. जिसे वहां किसी अन्य नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि सबसे पहले इस नस्ल का इस्तेमाल इंसानों द्वारा मुर्गों को लड़ने के लिए किया जाता था, इसलिए ये नस्ल झगड़ा करने के लिए भी जानी जाती हैं. इस प्रकार की मुर्गियां बहुत कम उम्र से ही आपस में लड़ने लगती हैं. इस चिकन ब्रीड की अंडा देने की क्षमता काफी कम होती है, लेकिन इनके अंडे काफी महंगे बिकते हैं. वहीं इनका मीट भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
मीट में न के बराबर होता है कोलेस्ट्रॉल
कड़कनाथ मुर्गी मध्य प्रदेश में काली मासी के नाम से जानी जाती है. यह हर मौसम में और जलवायु में अपने आप को ढाल लेती है. इस नस्ल की मुर्गियों का मीट काले रंग का होता और स्वादिष्ट माना जाता है. मुर्गियों के मीट में 25 फीसदी तक प्रोटीन जबकि कोलेस्ट्रॉल मात्रा 0.5 फीसदी ही होता है. मुर्गियों की त्वचा, चोंच, पैर की उंगलियों और टांगों का रंग स्लेटी होता है.
225 अंडों का करती हैं उत्पादन
ग्राम प्रिया भारत सरकार द्वारा विकसित की गई चिकन ब्रीड है. इस नस्ल को खासतौर पर घरों के पिछवाड़े में पालने के लिए विकसित किया गया था. यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों में किसानों द्वारा पोल्ट्री फार्मिंग के लिए इसका इसतेमाल किया जाता है. इस रंगीन नस्ल का पालन मीट और अंडे दोनों के लिए किया जाता है. इस नस्ल की मुर्गियां 1 साल में 210 से 225 अंडों का उत्पादन करती हैं. मुर्गियों का भार 1.5 किलो होता है.
मीट के लिए पालें इस नस्ल की मुर्गी
पंजाब ब्राउन नस्ल पंजाब हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में पाली जाती हैं. इसका पालन पंजाब हरियाणा के छोटे बड़े किसान करते हैं. शुरू में इसका पालन लोग खुद मीट के इस्तेमाल के लिए करते थे लेकिन बाद में यह रोजगार का एक बेहतरीन साधन बन गई. इसके पंखों का रंग भूरा लाल होता है और उन पर काले रंग के धब्बे होते हैं. मुर्गी का भार 1 से 2 किलो के बीच होता है. मुर्गियों का भार डेढ़ किलो के बीच होता है. अपनी उम्र के 5 से 7 महीने में अंडे देना शुरू कर देती है और 60 से 80 अंडे देती है.
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