Home पशुपालन Goat Farming: बकरियों में क्या है पीपीआर रोग, यहां पढ़ें लक्षण, इलाज और बीमारी से होने वाला नुकसान
पशुपालन

Goat Farming: बकरियों में क्या है पीपीआर रोग, यहां पढ़ें लक्षण, इलाज और बीमारी से होने वाला नुकसान

ppr disease in goat
बीटल बकरी, goatwala.com

नई दिल्ली. बकरी पालन करने वालों किसानों के बकरियों में होने वाला पीपीआर रोग के बारे में जानना बेहद ही अहम है. क्योंकि यह रोग बहुत ही घातक है, जो बकरियां में प्रजनन क्षमता को बेहद ज्यादा प्रभावित करता है. ज्यादातर बकरियां और भेड़ के स्वास्थ को प्रभावित करने वाला यह रोग है. इस संक्रमित वायरस के कारण बकरियों की मृत्यु दर 80 फीसदी तक हो सकती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक या रोग आमतौर पर ट्राइट्रिकोमोनस भ्रूण संक्रमण के कारण होता है और यह बकरियों के बीच तेजी के साथ फैल जाता है. ऐसे में बकरी पालक को इसके रोग लक्षण निदान और उपचार के बारे में पता होना चाहिए.

एक दूसरे से फैल जाता है ये रोग
पेस्टे डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स संक्रामक वायरल बीमारी है, जो बकरियां सहित जुगाली करने वाले पशुओं को प्रभावित करती है. ये आमतौर पर फुट एंड माउथ डिजीज के नाम से भी जाना जाता है. यह एक तेजी के साथ फैलने वाली बीमारी मानी जाती है. जो पशुओं खासकर बकरियां में भेड़ गायों और आदि जानवरों को प्रभावित करती है. अक्सर लोग इस रोग को बकरी का प्लेग भी कहते हैं. मुख्यता संक्रमित जानवरों के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष संपर्क में रहने से फैलती है. यह वायरस खासकर बकरियों के श्वसन स्राव, नाक स्राव और दूषित उपकरणों के माध्यम से फैल सकता है. वायरस एक दूसरे से पशुओं में आसानी से फैल जाता है.

हवा के जरिए भी फैलता है
अक्सर संक्रमित बकरियां या अन्य संक्रमित जुगाली करने वाले पशुओं के साथ स्वस्थ पशु का संपर्क वायरस को बढ़ा देता है. संक्रमित जानवरों के साथ चारा या पानी के बर्तन आदि एक होने पर भी वायरस एक दूसरे तक पहुंच जाता है. संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने वाले उपकरण कपड़े स्वस्थ बकरियां में वायरस पहुंचा सकते हैं. कई बार वायरस एयरोसोजिल्ड हो सकता है. जिससे यह हवा के माध्यम से भी फैल जाता है.

ये हैं संक्रमण के मुख्य लक्षण
अगर इसके लक्षणों की बात की जाए तो मुख्यतः संक्रमित बकरियों को अक्सर तेज बुखार हो जाता है, जो इसकी शुरुआती लक्षण हैं. इसके बाद नाक और आंख स्राव, इसके अलावा खांसना छीकना, मुंह के जख्म, सांस लेने में कठिनाई, दस्त, भूख में कमी, निर्जलीकरण और गर्भपात आदि इसके मुख्य लक्षणों में से हैं. संक्रमित बकरियां में से इसमें से कुछ सभी लक्षण दिखाई दे सकते हैं और बीमारी तेजी से बढ़ सकती है. जिससे प्रभावित झुंडों में गंभीर बीमारियों और मृत्यु दर बढ़ सकती है.

ऐसे करें संक्रमित बकरियों का इलाज
अगर इसकी उपचार की बात की जाए तो कोई विशिष्ट एंटीवायरस उपचार नहीं है. बीमारी के प्रबंधन के लिए देखभाल आवश्यक मानी जाती है. रोग के उपचार के बारे में कहा जाए तो सबसे जरूरी है कि रोग फैलने से रोकने के लिए संक्रमित बकरियों को स्वस्थ जानवरों से अलग अलग कर देना चाहिए. घाव, बुखार निर्जलीकरण और माध्यमिक संक्रमण जैसे लक्षणों का समाधान करना चाहिए. रोग को रोकने के लिए टीकाकरण एक महत्वपूर्ण उपाय है. इन्हें संवेदनशील जानवरों को लगाना चाहिए. यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संक्रमित बकरियों को उनकी प्रतिक्षा प्रणाली और रिकवरी में सहायता के लिए पर्याप्त भोजन पानी मिलता रहे.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

अरुणाचल प्रदेश में, ब्रोक्पा बड़ी मोनपा जनजाति की एक उप-जनजाति है, जो पूर्वी हिमालयी क्षेत्र के पश्चिमी कामेंग और तवांग जिलों में निवास करती है.
पशुपालन

Arunachali Yak: अरुणाचल प्रदेश की पहचान है अरुणाचली याक, जानिए इसकी खासियत

फाइबर के माध्यम से आश्रय और कपड़े प्रदान करते हैं और कठिन...

Why did NDRI say, separate AI department is needed for research and development activities
पशुपालन

Indian Dairy: NDRI से देश को मिलेंगी 98 फीमेल डेयरी साइंटिस्ट और एक्सपर्ट, 22 को मिलेगी डिग्री

जिन साइंटिस्ट को मेडल आदि दिया जाना है उन्हें भी सूचित किया...

animal husbandry
पशुपालन

Animal Husbandry: अच्छा बछड़ा या बछिया चाहिए तो आजमाए ये टिप्स, आमदनी होगी डबल

भैंस के बच्चे को तीन माह तक रोजाना उसकी मां का दूध...

livestock
पशुपालन

Animal News: गर्मी में डेयरी पशुओं को लू से बचाने के लिए पढ़ें टिप्स

पशुओं को लू से बचाने के लिए ठंडी छाया के साथ पोषण...