नई दिल्ली. बकरीद में महज 14 दिन बाकी है. ऐसे में मुस्लिमों ने जोर-शोर से बकरीद की तैयारी शुरू कर दी है. लोगों ने बकरों की खरीद शुरू कर दी है लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो एनवक्त पर बकरों की खरीदने की सोच रहे हैं. बकरा व्यापारियों की मानें तो अभी बकरों पर और भी महंगाई होने वाली है. अगर, समय से बकरा नहीं खरीदा तो और महंगे खरीदने पड़ सकते हैं. दूसरा बात ये है कि कुर्बानी करने वाले भी खूबसूरत और अच्छे वजन के बकरे की तलाश में तो उन्हें बाद में मायूसी हाथ लग सकती है, क्योंकि अच्छे बकरे पहले ही मंडी में आकर बिक जाते हैं. बता दें कि पश्चिमी बंगाल में बकरों की खपत हो जाने की वजह से बहुत से बहुत से व्यापारियों और किसानों ने बकरों को रोककर रख लिया है या कहें कि अब बहुत ज्यादा बकरे बचे भी नहीं हैं. ऐसे में आगामी दिनों में बकरे पर महंगाई की संभावना जताई जा रही है.
अगर समय से चांद दिख गया तो बकरीद 17 जून को देशभर में मनाई जाएगी. पशु पालक और गोट फार्म संचालकों ने बकरे मंडी में लाकर बेचना शुरू कर दिया है. ज्यादातर लोग कुरबानी के लिए अपने बजट के हिसाब से बकरे खरीदते हैं लेकिन 95 फीसदी लोग 15-25 हजार के बीच का ही बकरा पसंद करते हैं. शुरूआत में इस रेट में लोगों के बकरे मिल भी गए लेकिन अब ऐसा होना मुश्किल है. क्योंकि जैसे-जैसे बकरीइ नजदीक आ रही है वैसे-वैसे बकरों पर महंगाई बढ़ रही है. गोट फार्मर की मानें तो आज से 15 दिन पहले तो इस बजट में अच्छा बकरा मार्केट में मिल रहा था लेकिन अब नहीं. अब गांव, किसानों के पास बकरे बचे नहीं हैं. इस कारण बकरों पर महंगाई बढ़ रही है. बकरा व्यापारी गीताराम की मानें तो इस बार पश्चिमी बंगाल में बकरों की सप्लाई बहुत हो गई है. इस कारण बकरे अब बचे नहीं. यहां पर बकरीद के लिए बकरे खरीदने वालों को ये भी अवगत कराना चाहते हैं कि बहुत से लोग बकरे का वजह एक क्विंटल से भी ज्यादा कर लेते हैं, ये बकरा मीट के हिसाब से बिल्कुल भी ठीक नहीं. इस तरह के बकरे में फैट ज्यादा होता है मीट कम. दूसरा इतने बड़े जानवर को देखने वाले तो बहुत आएंगे लेकिन खरीदार एक-दो फीसदी ही होंगे, इसलिए कुर्बानी करने वाले हमेशा बकरा वही खरीदें जिसका वजन 25-50 किलो के बीच में हो.
तंदरुस्त बच्चा देता है अच्छा मुनाफा
वृंदावन स्थित स्टार साइंटफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद ने बताया कि बकरों की खरीदारी तो बहुत पहले ही हो चुकी. अब तो कुछ ही बकरे बचे हुए हैं, जो मंडी में आ रहे हैं. इस बार ज्यादातर बकरे का लदान ज्यादातर पश्चिमी बंगाल हो गया. अब जो बकरा बचा है, उस पर काफी महंगाई हो गई है. उन्होंने बताया कि पहले जो बकरा 800-1000 रुपये प्रति किलो मटन के हिसाब से बिक रहा था वो अब 1200 से 1500 के हिसाब से बिक रहा है. बतौर उदहारण आपको बता रहे हैं कि मान लीजिए एक बकरे में अनुमान के तौर पर 20 किलो मीट निकलने की संभावना है तो उस बकरे की कीमत 24 हजार से 30 हजार का मिलेगा.
बकरों की नस्ल पर भी ध्यान
लोग बकरों की नस्ल पर भी बहुत ध्यान देते हैं. हालांकि जगह और क्षेत्र के हिसाब से लोग बकरों की ब्रीड को लेते हैं. कोई बरबरा तो कोई तोतापरी तो कोई सिरोही नस्ल के बकरों को पसंद करता है. जब बकरा अच्छा और खूबसूरत होता है तो वो किसान, पशुपालक और बकरी फार्म संचालक को मोटा मुनाफा भी देकर जाता है. आइए जानते हैं बकरीद पर किस तरह के बकरों की डिमांड मार्केट में रहती है.
देसी की भी होती है खूब डिमांड
बकरीद पर ज्यादातर पांच-छह तरह की नस्ल के बकरों की खूब डिमांड होती है. इनमें बरबरा, सिरोही, जमुनापारी, तोतापरी, जखराना नस्ल प्रमुख होती है. हालांकि देसी नस्ल का बकरा हर जगह मिल जाता है इसलिए वो सबसे ज्यादा बिकता है. मंडियों में 35-55 किलो वजन के बकरे की मांग ज्यादा होती है. वहीं कुछ लोग बकरों की नस्ल पर भी बहुत ध्यान देते हैं.
जखराना बकरा यहां मिलता है
जखराना नस्ल का बकरा राजस्थान में अलवर जिले के जखराना गांव में मिलता है.मोहम्मद राशिद कहते हैं कि इस नस्ल के बकरे बहुत ज्यादा नहीं मिलते.जखराना बकरे का वजन 50 से 55 किलो तक हो जाता है. बकरी 45 किलो वजन तक की होती है.
खूबसरती में बरबरे का कोई सानी नहीं
बरबरे नस्ल की बकरा-बकरी उत्तर प्रदेश के आगरा-अलीगढ़ मंडल में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है इस नस्ल के बकरों की डिमांड सबसे ज्यादा बकरीद पर रहती है. इन बकरों की नस्ल का वजन 35-40 किलो वजन तक हो जाता है. 25 किलो से लेकर 50 किलो तक का बकरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.
मांच के मामले में तोतापरी बकरे भी ठीक
तोतापरी नस्ल की बकरी राजस्थान में पाई जाती है. इस बकरियों को दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है. एक बकरे का वजन करीब 40 से 70 किलो के बीच में होता है, तोतापुरी खुद को किसी भी वातावरण और जलवायु के साथ आसानी से अपना सकती है.
हर जगह मिल जाता है सिरोही बकरा
सिरोही बकरे की नस्ल राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों में पाई जाती है. इस नस्ल के बकरे सबसे ज्यादा और हर जगह आसानी से मिल जाते हैं. इसलिए इस बकरे की डिमांड भी खूब होती है. इस नस्ल की बकरियां आकार में मध्यम होती हैं. इनके शरीर का रंग लाल और काले-सफेद धब्बे होते हैं.
गोट फार्म या किसान से खरीदें बकरा
राशिद कहते हैं जब भी बकरा खरीदो तो उसकी जांच जरूर कर लो. कहीं ऐसा तो नहीं कि व्यापारी बकरे को कुछ खिला-पिता लाया हो और लोगों को बेच दे. इसलिए कोशिश करो कि बकरा फार्म से ही खरीदें या फिर किसान से. बकरा एक्टिव और चमकदार होना चाहिए.
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