नई दिल्ली. गौरतलब है कि पोल्ट्री सेक्टर में मुर्गी पालन और अंडों का कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है. हर दिनों करोड़ों मुर्गे और अंडे लोगों की थाली में परोसे जाते हैं. ऐसे में हो सकता है कि आप लोगों के जेहन में सवाल होगा कि कैसे अंडों से चिक्स निकलते हैं और कैसे मशीनों की मदद से इस पूरे प्रोसेस को अंजाम दिया जाता है. अगर पर ग्रामीण इलाके से ताल्लुक रखते हैं तो आपको ये मालूम ही होगा कि जब मुर्गी मुर्गे के साथ रहती है तो उससे हासिल अंडों से चिक्स मिलते हैं और फिर मुर्गी अंडों को सेहती है लेकिन सेहने का प्रोसेस अब मशीनों के जरिए होता है.
इसके कुछ दिनों के बाद अंडे से चिक्स बाहर निकलते हैं और फिर कुछ प्रोसेस के बाद उन्हें बाजार में बेच दिया जाता है और यही मुर्गे ब्रॉयलर और लेयर का रूप ले लेते हैं और इसका इस्तेमाल कारोबारी अपनी जरूरतों के हिसाब से करते हैं. आइए यहां जानते हैं कि अंडों से चिक्स निकालने का पूरा प्रोसेस क्या है? इसके अलावा अंडे से कितने दिनों में चूजे बाहर आते हैं और फिर किन प्रक्रियाओं से उन्हें गुजारा जाता है.
मशीन में 18 दिन रखे जाते हैं अंडें
एक्सपर्ट कहते हैं कि ये काम बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे वेंकीज और स्काईलार्क करती हैं. इसके अलावा छोटे कारोबारी भी ये काम कर लेते हैं लेकिन बड़ी कंपनियों के पास बड़ी मशीने होती हैं जबकि छोटे कारोबारियों के पास छोटी मशीने होती हैं. सबसे पहले एक पिंजड़े में मेल फीमेल को मिलाया जाता है. फिर अंडे प्राप्त होते हैं और यहीं से काम मशीन का शुरू होता है, जिसे इनक्यूबेटर मशीन कहते हैं. इस मशीन में अंडे रख दिए जाते हैं और बिजली से चलने वाली ये मशीने अंडों को घुमती रहती हैं. यह प्रक्रिया पूरे 18 दिनों तक चलती है. यानि अंडे 18 दिनों तक घुमाए जाते हैं.
साफ्टवेयर से चेक होता है सेक्स
फिर उसे निकाल लिया जाता है. आपको बताते चलें कि अंडों को इसलिए घुमाया जाता कि ताकि मुर्गियों के द्वारा अंडों को सेहा न जाए. इसी प्रक्रिया को मशीन से कराया जाता है. जिसका फायदा मिलता है. इससे अंडे हाइजेनिक मिलते हैं और अंडे खराब भी नहीं होते हैं. क्योंकि कई बार मुर्गियां अंडों तो तोड़ देती हैं या फिर अन्य वजहों से नुकसान हो जाता है. फिर चूजा निकल आता है. फिर चूजों को छटाई होती है. इसमें ये देखा जाता कि मेल कौन है और फीमेल कौन है और इस काम को अंजाम देने के लिए बकायदा तौर पर साफ्टवेयर बनाया गया है जो स्कैन करके ये बता देता है.
पहले लगे रहते हैं आर्डर
फिर नंबर आता है इसकी सेल का कोई भी कंपनी जब चूजों निकालती है तो डे वन चिक्स सिस्टम के जरिए कार्टन में पैक करके पोल्ट्री कारोबारियों को भेज देती है. क्योंकि पहले से ही चिक्स का आर्डर रहता है तो इस वजह से कंपनियों को अंडे रखने भी नहीं होते हैं. कंपनी 15 दिनों का टाइम कारोबारियों को देती है. जिसकी जैसी डिमांड होती है मसलन लेयर या फिर ब्रॉयलर की तो उन्हें दे दिया जाता है. इसी दौरान चिक्स वैक्सीनेशन भी किया जाता है. अन्य वैक्सीन पोल्र्टी फार्म में लगती हैं.
व्हाइट अंडों में नहीं होते चिक्स
यहां आपको ये भी बताते चलें कि हम लोग जो व्हाइट अंडे खाते हैं उन अंडों में चूजे का कोई अंश नहीं होता है. क्योंकि वो अंडे मुर्गियां बिना मुर्गे के संपर्क में आए ही देती हैं. इसलिए इसे वेज भी कहा जाता है. क्योंकि जिस तरह से भैंस चारा खाने के बाद दूध देती है, उसी तरह से मुर्गियां दाना खाने के बाद अंडे देती हैं. ये अलग बात है कि अंडों को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम कैंपेन चलाए जाते हैं ये कि मांसाहारी है लेकिन ये पूरी से गलत तथ्य है. आपको बताते चलें कि जो चिक्स अंडों से हासिल होते हैं, उसमें लेयर का दाम 40 से 40 रुपये होता है जबकि ब्रॉयलर का दाम इसे आधा होता है.
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