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Dairy Animal: पढ़ें UP में क्यों कम है प्रति पशु दूध उत्पादकता, बढ़ाने का क्या है तरीका, ये भी जानें

दुधारू पशुओं के बयाने के संकेत में सामान्यतया गर्भनाल या जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद हो जाता है.
गाय-भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. UP में ज्यादातर लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. उनकी इनकम का मुख्य जरिया कृषि और पशुपालन है. ग्रामीण इलाके के लोग पशुपालन से जितनी कमाई कर पा रहे हैं वो इससे ज्यादा कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए जरूरी ये है कि प्रति पशु दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाए. क्योंकि न सिर्फ देश में बल्कि उत्तर प्रदेश में भी प्रति पशु दूध उत्पादकता कम है. जबकि पशुओं की दूध देने की क्षमता उससे ज्यादा है लेकिन फिर भी नतीजा अच्छा नहीं आ रहा है. इसके चलते पशुपालकों को ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है.

यूपी सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में कृषि क्षेत्र के कुल योगदान में पशुपालन क्षेत्र का योगदान 29.3 प्रतिशत है, जो देश के सकल घरेलू जीडीपी का लगभग 4.35 प्रतिशत है. एक्सपर्ट कहते हैं कि प्रति पशु उत्पादकता और ज्यादा हो जाए तो फिर देश की तरक्की में प्रदेश का योगदान और ज्यादा बढ़ सकता है. जबकि इससे प्रदेश के ​पशुपालकों को भी फायदा होगा. यही वजह है कि सरकार कई तरह की योजनाएं चलाकर पशुपालन में दूध उत्पादकता को बढ़ाने का काम कर रही है.

जानें कितना है प्रति पशु उत्पादन
उत्तर प्रदेश में प्रति पशु उत्पादकता कम है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में देशी गायों की उत्पादकता 3.6 किलो ग्राम प्रतिदिन प्रतिपशु है, जबकि पंजाब और हरियाणा में इससे ज्यादा है. इसी प्रकार भैंसों की उत्पादकता की बात की जाए तो प्रदेश में प्रति भैंस 5.02 किलो ग्राम दूध उत्पादन करती है. जबकि पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में उत्पादकता अधिक है. जब इसके कारण पर गौर किया जाता है तो पता चलता है कि प्रदेश में उच्च गुणयतायुक्त दुधारु पशुओं की कमी है. इसलिए आवश्यकता है कि पशुपालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए उन्नत नस्ल के अधिक से अधिक दुधारु गोवंश की इकाइयों स्थापित की जायें.

सरकार चला रही है योजना
वहीं एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर प्रति पशु दूध उत्पादकता को बढ़ाना है तो पशुपालन विभाग को पशुधन के क्षेत्र में विकास के लिए उन्नत पशुपालन संसाधन तथा उन्नत प्रजनन, रोग नियंत्रण, चारा विकास, रोजगार सृजन आदि कार्यक्रम संचालित करना होगा. क्योंकि पशुपालकों को उच्च गुणवता के पशु प्राप्त करने के लिए प्रदेश के बाहर जाना पड़ता है. ऐसे पशु प्रदेश में उपलब्ध होंगे तो फायदा होगा. इसलिए इन सुविधाओं को प्रदेश में होना बेहद ही जरूरी है. हालांकि सरकार ने इन चीजों की पूर्ति के लिए नन्द बाबा दुग्ध मिशन के तहत “नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना” भी शुरू की है. ताकि प्रति पशु उत्पादकता को बढ़ाया जा सके.

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