नई दिल्ली. मुर्गी पालन करना चाहते हैं तो आप इसे छोटी जगह पर भी शुरू कर सकते हैं. मुर्गी पालन घर ही महिलाएं भी अपने तमाम घरेलू कामकाज करने के साथ भी कर सकती है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बहुत बड़े स्तर पर मुर्गी पालन नहीं करना चाहते तो भी कोई मसला नहीं है. घर में आंगन में या घर के पीछे मुर्गी पालन करके मुनाफा कमा सकते हैं. इस तरह के मुर्गी पालन को बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिं कहा जाता है. बताते चलें कि अगर कोई 1500 मुर्गी का पालन करे तो तो इससे वो 50 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपए तक का मुनाफा कमा सकता है.
ये तो रही बात मुर्गी पालन की लेकिन मुर्गी पालन में भी कई बातों का ध्यान रखना होता है. मुर्गियों को फीड देने से लेकर उनको पानी पिलाना में भी सावधानी बरतनी होती है. वहीं मुर्गियां बीमार भी बहुत तेजी से होती हैं और बीमारी की वजह से उनकी मौत भी होने लग जाती है. इसका एक नुकसान ये भी है कि बीमार मुर्गियां जल्द ही हेल्दी मुर्गियों को भी बीमार कर देती हैं. इसलिए हर मुर्गी पालक को पता होनी चाहिए कि मुर्गियां जब बीमार हों तो उसके लक्षण क्या हैं, ताकि समय रहते इलाज किया जा सके.
मुर्गियों में बीमारी के लक्षण
बीमार चूजे या मुर्गियाँ एक स्थान पर इकट्ठा होने लगती हैं. कुछ मुर्गियों आंखे बंद करके तथा सिर झुका कर बैठ जाती हैं.
बीमार मुर्गियों दाना पानी कम खाती पीती हैं या पानी पीना बिल्कुल बन्द कर देती हैं. कुछ बीमारियों के दौरान मुर्गियाँ ज्यादा पानी पीती हैं.
बिमारी के दौरान मुर्गियों के पंख ढीले होकर लटक जाते हैं. मुर्गियों के पर की सजावट असंतुलित हो जाती है.
कभी-कभी पैर खराब हो जाते है जिसके नतीजे में मुर्गियाू लंगडाते हुए चलती हैं. खड़े होने में असमर्थ हो जाती है व ज्यादातर बैठी रहती हैं.
पेचिश की बिमारी होने पर बींट का रंग हरा, पीला, सफेद या लाल हो जाता है.
मुर्गियों का वजन कम हो जाता है. अंडा उत्पादन कम या बन्द हो जाता है.
मुर्गियों की कलंगी सूख जाती है या उसमें सूजन आ जाती है. उसका रंग बदल जाता है व उसकी चमक कम हो जाती है.
मुर्गियों के शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
नाक आँख या मुंह से पानी निकलता है एवं मुर्गियों को सांस लेने में दिक्कत होती है तथा छिंकती है। आँखे चिपक जाती है।
बीमारियों के कारण चूजों व मुर्गियों की मृत्यु तक हो जाती है।
Leave a comment