Home पशुपालन Animal Husbandry: पशुओं में इन 5 खतरनाक बीमारियों के पढ़ें लक्षण, एक में तो 48 घंटे में हो जाती है मौत
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Animal Husbandry: पशुओं में इन 5 खतरनाक बीमारियों के पढ़ें लक्षण, एक में तो 48 घंटे में हो जाती है मौत

CIRB will double the meat production in buffaloes, know what is the research on which work is going on. livestockanimalnews animal Husbandry
बाड़े में बंधी भैंस. livestockanimalnews

नई दिल्ली. पशुपालन ने एक व्यापार का रूप ले लिया है लेकिन पशुपालक को तब नुकसान होता है जब पशु बीमार हो जाते हैं. पशुओं में ऐसी कई बीमारी है जो पशुओं की उत्पादकता को घटा देती है. इसलिए जरूरी है कि पशुपालकों को पता हो कि बीमारी से पशुओं को कैसे सेफ किया जाए. क्योंकि एक बार पशु बीमार हो गए तो वो गंभीर स्थिति में भी जा सकते हैं और कई बार उनकी मौत हो जाती है तो इससे पशुपालकों को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है.

इस आर्टिकल में हम बेबेसियोसि, काली क्वार्टर समेत पांच बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पशुओं के लिए काफी खतरनाक बीमारियां हैं. यदि आपको को इस बारे में जानकारी होगी तो पशुओं की अच्छी से तरह देखभाल करके उन्हें बीमारी से बचा पाएंगे. तो आइए जानते हैं कि इन बीमारियों के क्या लक्षण हैं.

बेबेसियोसिस
इस बीमारी में पशु को बुखार, एनीमिया, तेज बुखार, कॉफी के रंग का मूत्र निकलना आदि मुख्य लक्षण हैं. इसके अलाा हीमोग्लोबिनुरिया, पीलिया, सबक्लीनिकल ​​संक्रमण, बेबियोसिस पाइरेक्सिया के तीव्र रूप में, कमजोरी, श्लेष्मा झिल्ली का पीलापन, अवसाद, अस्वस्थता, एनोरेक्सिया, श्वसन और हृदय गति में वृद्धि आदि की शिकायत हो जाती है.

मवेशी काली टांग/काला क्वार्टर
इस बीमारी में फोकल गैंग्रीनस, भूख में कमी, उच्च मृत्यु दर, जांघ के ऊपर क्रेपिटस सूजन, चीरा लगाने पर गहरे भूरे रंग का तरल पदार्थ निकलता है. वहीं बुखार आता है तो (106-108 एफ तक रहता है. पैर में लंगड़ापन, कूल्हे के ऊपर क्रेपिटिंग सूजन, पीठ पर क्रेपिटस सूजन, कंधे पर रेंगने वाली सूजन आ जाती है.

ब्लूटौंज
इस मर्ज में तापमान का अधिक बढ़ने लगता है. लार निकलकर गिरने लगती है. थूथन सूखना और जला हुआ दिखता है. गर्दन और पीठ का फटना, जीभ का सियानोटिक और नीला दिखना, गर्भपात, थन में सूजन और थनों में घाव, होंठ, जीभ और जबड़े में सूजन, बुखार , नाक से स्राव, लंगड़ापन हो जाता है.

अनपलसमोसिस
इस रोग में संक्रमित मवेशी बाकी झुंड से पिछड़ जाएंगे और खाएंगे या पीएंगे नहीं. लगातार बुखार, एनोरेक्सिया, क्षीणता, लैक्रिमेशन, नाक से स्राव, सांस की तकलीफ, दूध उत्पादन में कमी और कुछ मामलों में जानवरों की मृत्यु, मवेशी बेहद आक्रामक हो सकते हैं. गंभीर रक्ताल्पता, स्पष्ट गर्भाशय स्राव और फ्लोकुलेंट युक्त, 1 से 3 वर्ष के मवेशियों में अधिक गंभीर नैदानिक ​​लक्षण दिखाई देते हैं. कमजोरी, हल्की त्वचा वाली गायें शुरू में आंखों के चारों ओर और थूथन पीली दिखेंगी लेकिन बाद में पीले रंग की हो जाएंगी. वजन कम होना, कब्ज, गर्भपात, पीलिया, एनीमिया, बुखार, इक्टेरस की समस्या होती है.

ऐन्‍थ्रैक्‍स
वर्टिगो और सांस लेने में कठिनाई होती है. आमतौर पर संक्रमण के 2-3 दिनों के बाद ही पशु की मौत हो जाती है. प्रभावित जानवर नीरसता और अवसाद दिखाते हैं, सांस की तकलीफ, गुदा जैसे प्राकृतिक orfices से रक्तस्राव होता है. गर्दन क्षेत्र में लिम्फ नोड्स सूजन या बढ़े हुए दिखते हैं. एनोरेक्सिया, ब्लोट, व्यथित श्वास और मृत्यु, प्राकृतिक छेदों से खून रिसता है. गर्दन में एडिमा, ब्रिस्केट क्षेत्र, पेट और पार्श्व, श्वसन संकट, गले की नाड़ी, कांपना, दांतों की पीस, एनीमिया, हमला, डिप्रेशन, मांसपेशी ट्रे हो जाती है.

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