नई दिल्ली. समुद्री शैवाल की खेती से कमाई की जा सकती है. खासतौर पर तटीय क्षेत्र में शैवाल का खाने, औद्योगिक के साथ-साथ दवाओं के उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आप समुद्री शैवाल की खेती करके या अन्य व्यवसायों के साथ मिलकर मोटी कमाई कर सकते हैं. समुद्री शैवाल का इस्तेमाल खाने के लिए किया ही जाता है. जिससे सुशी, सूप सलाद और अन्य पदार्थों बनता है. वहीं औद्योगिक उपयोग की बात की जाए तो जिलेटिन थिकनर और अन्य प्रोडक्ट बनाने में इसका इस्तेमाल होता है. इसमें औषधीय गुण होते हैं. इस वजह से दवा भी बनाई जाती है.
वहीं केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग ने आईसीएआर केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) को समुद्री शैवाल की पैदावार के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित किया है. मंडपम, तमिलनाडु में सीएमएफआरआई का मंडपम क्षेत्रीय केंद्र समुद्री शैवाल की पैदावार में अनुसंधान, विकास, ट्रेनिंग और क्षमता निर्माण के लिए केंद्र के रूप में काम करेगा. इससे शैवाल के उत्पादन में मदद मिलेगी.
पैदावार की चुनौतियां का निकलेगा हल
यह केंद्र लगातार समुद्री शैवाल पालन प्रथाओं को बढ़ावा देगा और वैश्विक समुद्री शैवाल उद्योग में भारत की भूमिका को बढ़ाने के उद्देश्य से क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों का समाधान करेगा. सीएमएफआरआई के डायरेक्टर डॉ. ग्रिन्सण जॉर्ज ने इस विकास को समुद्री शैवाल की पैदावार में देश की क्षमता को उजागर करने में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा कि “यह केंद्र कई प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा. जिसमें समुद्री शैवाल पैदावार की तकनीकों में सुधार और पैदावार से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना शामिल है.”
दी जाएगी ट्रेनिंग
उन्होंने यह भी कहा कि स्वदेशी समुद्री शैवाल प्रजातियों की अनुवांशिक विविधता को बनाए रखने और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की लागातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक बीज बैंक की स्थापना की जाएगी. “टिकाऊपन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र द्वारा पर्यावरणीय प्रभाव निर्धारित किया जाएगा. डॉ. जॉर्ज ने कहा कि देश में समुद्री शैवाल की पैदावार और संबद्ध गतिविधियों को करने के लिए किसानों, उद्यमियों और अन्य हितधारकों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रदान किए जाएंगे”.
दुनियाभर के एक्सपर्ट को जोड़ा जाएगा
“समुद्री शैवाल पैदावार आर्थिक विकास, तटीय आजीविका और पर्यावरण परिरक्षण के लिए एक उज्ज्वल संभावना प्रदान करती है., सीएमएफआरआई निदेशक ने कहा कि उत्कृष्टता केंद्र ज्ञान के आदान-प्रदान और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को सुविधाजनक बनाने के लिए वैश्विक विशेषज्ञों और संस्थानों के साथ जुड़कर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित करेगा.
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