नई दिल्ली. मछली पालन को सरकार बढ़ावा देना चाहती है और काफी हद तक इसमें उसे कामयाबी भी मिली है. पिछले दस के सरकारी आंकड़े तो यही कहते हैं. सरकार के मत्स्य पालन विभाग (मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय) की ओर से जारी की गई 2024 की रिपोर्ट में बताया गया है कि मछली पालन का सेक्टर खूब तरक्की कर गया है. क्योंकि सरकार की योजनाएं चला रही है, जिससे सेक्टर को बढ़ावा मिल रहा है. सरकारी योजनाओं में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) ने 2025 तक 1.12 मिलियन टन समुद्री शैवाल उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है.
वहीं मत्स्य पालन में डिजिटल क्रांति के तहत ई-मार्केट प्लेटफॉर्म के साथ मछुआरों को सशक्त बनाने के लिए ओएनडीसी के साथ समझौता किया गया है. जबकि भारत के मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे को बदलने के लिए 1,200 करोड़ रुपये की पीएमएमएसवाई और एफआईडीएफ परियोजनाएं शुरू की गई हैं. साथ ही समुद्र में सुरक्षा केे लिए ट्रांसपोंडर के साथ 1 लाख मछली पकड़ने वाले जहाज उपलब्ध कराने के लिए 364 करोड़ रुपये की पीएमएमएसवाई पहल की गई है. इतना ही नहीं तटीय समुदायों को मजबूत करने के लिए 200 करोड़ रुपये की पहल की गई है. जिसका फायदा होता नजर आ रहा है.
जीओआई का हुआ ये फायदा
बताते चलें कि फिशरीज भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य तथा पोषण सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसर पैदा करने में भी योगदान देता है. मत्स्य पालन क्षेत्र को ‘सूर्योदय क्षेत्र’ के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह भारत में लगभग 30 मिलियन लोगों की आजीविका को बनाए रखने में सहायक है, विशेष रूप से वंचित और कमजोर समुदायों के लोगों की. सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पिछले 10 वर्षों के दौरान, भारत सरकार (जीओआई) ने मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं. इससे फायदा हुआ है.
दोगुना से ज्यादा हुई ग्रोथ
बता दें कि सरकार की इन पहलों की वजह से वित्त वर्ष 2022-23 में कुल (अंतर्देशीय और समुद्री) मछली उत्पादन बढ़कर 175.45 लाख टन हो गया है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 95.79 लाख टन था. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि उत्पादन बढ़कर 131.13 लाख टन हो गया है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 61.36 लाख टन था, जो 114 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है. इसी तरह, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात 60 हजार 523.89 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 30 हजार 213 करोड़ रुपये से दोगुने से अधिक की वृद्धि को दिखाता है.
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