नई दिल्ली. फिश फार्मिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. इसी दिशा में सरकार ने फिश स्टॉक बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे मॉनसून के मौसम में एक समान मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाना, डिस्ट्रक्टिव फिशिंग मेथड्स पर प्रतिबंध लगाना, जुवेनाइल फिशिंग को हतोत्साहित करना, आरटिफ़िशियल रीफ़्स स्थापित करना, सी रेंचिंग को बढ़ावा देना, मत्स्यन दबाव को कम करने के लिए तटीय समुदायों को वैकल्पिक/अतिरिक्त आजीविका प्रदान करना आदि. एक्सपर्ट की समिति द्वारा नियमित अंतराल पर भारत के खास आर्थिक क्षेत्र में फिश स्टॉक की स्थिति का पता लगाने और मत्स्य संसाधनों की क्षमता के फिर से मूल्यांकन के लिए मत्स्य संसाधनों की क्षमता का अनुमान लगाया जाता है.
वहीं भारत के समुद्री क्षेत्रों में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कानूनों, विनियमों और नीतियों को चलाने के माध्यम से लगातार सस्टेनेबल फिशरीस सुनिश्चित कि जाती है. आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज़ रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) द्वारा प्रकाशित भारत के मरीन फिश स्टॉक की स्थिति 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पानी में मरीन फिश स्टॉक अच्छी स्थिति में हैं और 2022 के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यांकन किए गए 135 फिश स्टॉक में से 91.1 फीसदी ठीक स्थिति (सस्टेनेबल) में पाए गए हैं.
मछुआरों को दी है सेफ्टी किट
एनपीएमएफ, 2017 में अन्य बातों के साथ-साथ मछुआरा समुदाय को मदद प्रदान करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (एसटी) के इष्टतम उपयोग की सिफारिश की गई है. मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से मछुआरों के लाभ के लिए विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए आईटी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (एसटी) के उपयोग को बढ़ावा दिया है, जैसे कि मछुआरों को रियल-टाइम में पोटेंशियल फिशिंग जोन (पीएफजेड) की सलाह और मौसम का पूर्वानुमान प्रदान करना, वेस्सल मोनिट्रिंग सिस्टम /ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम का उपयोग, मछुआरों को उनकी सुरक्षा के लिए सुरक्षा किट प्रदान करना.
इसको लेकर सरकार करती है मदद
समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वेस्सल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम (वीसीएसएस) प्रदान की जाती है. बायकैच समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को कमजोर कर सकता है, इसलिए, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार मछुआरों को टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (टीईडी) की स्थापना के लिए केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच 60 फीसदी केंद्रीय अंश और 40 फीसदी राज्य अंश के अनुपात में 100 परसेंट वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, जिसमें मछुआरे और लाभार्थी का कोई हिस्सा नहीं है.
योजनाएं चलाई जा रही हैं
देश में मछली उत्पादों की उपलब्धता, लगातार और जिम्मेदार मत्स्यन विधियों को बढ़ावा देने, मात्स्यिकी संसाधनों के संरक्षण और इष्टतम उपयोग, जल कृषि को बढ़ावा देने और पोस्ट-हारवेस्ट नुकसान को कम करने के माध्यम से सुनिश्चित की जाती है. इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रही है, जो अन्य बातों के साथ-साथ मात्स्यिकी संसाधनों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा देती है, बढ़ती आबादी के लिए पोषण के एक किफायती स्रोत के रूप में मत्स्य की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, खासकर कम आय वाले क्षेत्रों में.
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