नई दिल्ली. पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर में बने डेजर्ट नेशनल पार्क के सुदासरी व रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर में फिलहाल गोडावण वैज्ञानिकों की देखरेख में हैं. वैज्ञानिकों द्वारा ही गोडावण को खाना खिलाने से लेकर उनकी मसाज व अन्य कार्यों को मॉनिटर किया जा रहा है. ऐसे सामान्य तौर पर शर्मीले पक्षी के रूप में पहचान रखने वाले गोडावण की यह नस्ल अब मानव से परिचित हो गई है. नई पीढ़ी के गोडावणों को वापस जंगल में छोड़ा जाना है लेकिन इससे पहले इन्हें जंगल में जीवनयापन के लिए तैयार किया जाएगा.
गोडावण संरक्षण के प्रयास के तहत सुदासरी व रामदेवरा में ब्रीडिंग सेंटर के सफल प्रयास के बाद गत कांग्रेस सरकार ने रामदेवरा में द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के संरक्षण व संवर्धन के लिए टनल बनाने की घोषणा की थी. इसके बाद अब वन विभाग व वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून मंथन में जुटा हुआ है. बजट की घोषणा के बाद राजस्थान प्रोटेक्टेड एरिया कंजर्वेशन सोसायटी द्वारा प्रारंभिक तौर पर आठ करोड़ का बजट भी जारी कर दिया गया है. अब टनल की डिजाइन व इसे बनाने पर विचार किया जा रहा है.
जन्म लेने के बाद टनल में छोड़ा जाएंगे बच्चे
गौरतलब है कि राज्य पक्षी गोडावण की संख्या को बढ़ाने व लुप्त हो रही इस प्रजाति को फिर से बढ़ाने के लिए प्रदेश की सरकार पिछले लंबे समय से प्रयास कर रही है।. जैसलमेर के सुदासरी व रामदेवरा में ब्रीडिंग सेंटर बनने के बाद गोडावण की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है. ऐसे में इन ब्रीडिंग टनल में गोडावण को जंगल का अहसास दिलाने की दिशा में एनक्लोजर बनाने पर काम किया जा रहा है. सेंटर में ही जन्म लेने वाले गोडावण को बाहर वापस छोड़ने के लिए इस टनल का निर्माण किया जाएगा.
टनल में गोडावण को मिलेगा जंगल का एहसास
ब्रीडिंग सेंटर में पैदा होने के बाद से अब तक वहीं ब्रीडिंग सेंटर में रहने से गोडावण की नई पीढ़ी जंगल की अनुभूति से पूरी तरह से महरूम है. डीएनपी (डेजर्ट नेशनल पार्क) के प्रमुख आशीष व्यास ने बताया ब्रीडिंग सेंटर में यह खाने व पीने के लिए भी मानवीय दखल के आदी हो चुके हैं. ऐसे में जब इन्हें वापस छोड़ा जाएगा तो इन्हें इसकी कोई समझ जानकारी नहीं है कि क्या खाना है? कहां से खाना है? कौनसा जानवर या पक्षी इनका मित्र है और कौन दुश्मन? इसकी इन नन्हें गोडावणों को जानकारी नहीं है. ऐसे में टनल में इन्हें जंगल जैसा माहौल दिया जाएगा.
अभी तक नहीं किया डिजाइन फाइनल
डीएनपी (डेजर्ट नेशनल पार्क) के प्रमुख आशीष व्यास ने बताया- पिछली सरकार द्वारा बजट में घोषणा किए जाने के बाद अब रामदेवरा में प्रस्तावित टनल पर मंथन शुरू हो गया है. इस प्रकार की यह पहली टनल बनेगी तो इस बारे में बहुत ज्यादा सोच समझकर काम किया जाएगा, ताकि किसी तरह की विफलता का कोई प्रश्न ही पैदा न हो. फिलहाल डीएनपी की ओर से रिवाइल्डिंग एनक्लोजर बनाने पर काम किया जा रहा है. हालाकि अभी तक इस टनल के बारे में कोई भी डिजाइन फाइनल नहीं किया गया है.
टनल में हर मौसम का होगा अहसास
गुरुद्ध जैसलमेर को ध्यान में रखकर ही टनल का निर्माण करना चाहती है. ताकि यहां पड़ने वाले गर्मी, सदी, बरसात व तेज हवा का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा. ताकि गोडावण को पूरी तरह से जंगल का एहसास हो सके. नई पीढ़ी के गोडावणों को रखकर उन्हें जंगल में जीने का एहसास करवाया जाएगा. इस टनल का निर्माण ही इस तरह से किया जाएगा कि इसमें गोडावणों को प्राकृक्तिक वातावरण में जंगल का एहसास हो.
जल्द होगी टनल की डिजाइन फाइनल
जिस प्रकार का टनल बनना है ऐसा टनल पहले दुनिया में नहीं बना है. ऐसे में अधिकारी हर छोटी से छोटी बात को लेकर सजग है. इस टनल का निर्माण कैसे करवाया जाएं, इसमें किस प्रकार का वातावरण तैयार किया जाए. इसके लिए मंथन किया जा रहा है. वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक लेने के बाद ही गुड इस टनल का डिजाइन फाइनल करेगा. रामदेवरा में बनने वाले दुनिया के पहले टनल में अगर यह प्रयोग सफल होता है तो सुदासरी में भी इस प्रकार का टनल बनाया जा सकता है.
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