नई दिल्ली. देश में भेड़ और बकरे के मीट की डिमांड बढ़ रही है. अगर आप किसान हैं और भेड़—बकरी का पालन करते हैं तो इससे आपको अच्छी कमाई हो सकती है. क्योंकि आने वाले समय में भेड़ और बकरे के मीट की डिमांड और ज्यादा बढ़ेगी. जबकि भेड़ और बकरी का मीट देश में बिकने वाले तमाम मीट में सबसे प्रीमियम माना जाता है. यही वजह है कि इसका दाम भी ज्यादा है. लोग इसे हाथों हाथ खरीदते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर किसान बकरी और भेड़ को मीट के बिजनेस के लिए पालते हैं तो इससे उन्हें जबर्दस्त फायदा हो सकता है.
ऐसे भी भेड़ और बकरी पालन कम लागत में आसानी के साथ किया जाने वाला बिजनेस है. एक्सपर्ट कहते हैं कि शुरुआत में कम संख्या से इसकी शुरुआत कर सकते हैं बाद में जैसे-जैसे इसमें फायदा हो पशुओं की संख्या बढ़ाकर किसान अपना मुनाफा और ज्यादा बढ़ा सकते हैं. बता दें कि भेड़-बकरे की मीट का कारोबार हजारों करोड़ों रुपए का है, जो आने वाले समय में और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है. इसलिए इस काम को करने से फायदा मिलता है. जबकि मुसलमानों के त्योहार बकरीद के मौके पर भी भेड़ और बकरे की डिमांड खूब रहती है और इस दौरान और अच्छा दाम भी मिलता है.
कितनी है भेड़ और बकरियों की संख्या
भेड़ और बकरे के मांस सेक्टर की बात की जाए 20वीं पशुधन जनगणना (2019) के अनुसार, भारत में लगभग 7.426 करोड़ भेड़ें हैं. जबकि 14.88 करोड़ करोड़ बकरियां हैं. पिछली पशुगणना 2012 के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो दोनों जानवरों की संख्या में इजाफा हुआ है. तब बकरियों की संख्या 13 करोड़ से ज्यादा थी, जबकि भेड़ों की संख्या साढ़े 6 करोड़ के आसपास थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पशुधन संख्या में भेड़ और बकरियों का परसेंटेज क्रमश: तकरीबन 13 और 27 फीसदी के आसपास है.
सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है भारत
पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक देश में सालल 2020 में 66,814 करोड़ रुपये है का मीट का कारोबार हुआा है. वहीं अब भारत दुनिया में बकरी और भेड़ के मांस का सबसे बड़ा निर्यातक भी बन चुका है. 2022-23 में भारत ने 9,592.31 मीट्रिक टन भेड़ और बकरी का मांस, जिसकी कीमत 537.18 करोड़ रुपये थी, दुनिया को निर्यात किया था. एक्सपर्ट की मानें तो मटन की मांग और आपूर्ति के बीच एक बड़ा अंतर है. इसलिए, मटन की कीमत लगातार बढ़ रही है.
सबसे महंगा बिकता है भेड़-बकरे का मांस
भारत में भेड़ और बकरी का मांस प्रीमियम मांस है, जो देश भर में लगभग 600-800 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जाता है. भेड़ और बकरी से उत्पादित अधिकांश खाद्य अवशेष या उप-उत्पाद भी भारत में बेचना और उपभोग किए जाते हैं. इसलिए इस क्षेत्र नुकसान होने का सवाल ही नहीं है. हालांकि, भारत में भेड़ और बकरी के मांस का बड़ा हिस्सा लोकल स्लाटर हाउस में उत्पादित होता है जो बहुत खराब स्थिति में हैं और इससे बाई प्रोडक्ट बहुत ही कम हासिल होते हैं. भेड़ और बकरी के क्षेत्र में संगठित स्लाटर हाउस में लाने से किसानों का फायदा और बढ़ेगा.
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