Home पशुपालन Disease: इस वक्त भेड़-बकरियों को हो रही है ये खतरनाक बीमारी, राजस्थान में बकरियों की हुई मौत
पशुपालन

Disease: इस वक्त भेड़-बकरियों को हो रही है ये खतरनाक बीमारी, राजस्थान में बकरियों की हुई मौत

livestock animal news
बकरी चराता गोट फार्मर.. फोटो क्रेडिट-पिंटू पहाड़ी.

नई दिल्ली. फकड़िया यानि एंटेरोटॉक्सीमिया डिसीज भेड़ और बकरी पर अटैक करती है. खासतौर पर ये बीमारी बारिश के मौसम में इन मवेशियों पर हमला करती है. वहीं ज्यादा चारा खाने की वजह से भी इस बीमारी का खतरा बना रहता है. एक्सपर्ट का कहना है कि इस बीमारी का सिर्फ एक ही इलाज है कि बकरियों और भेड़ों को समय रहते टीका लगवा दिया जाए. टीकाकरण करने से भेड़ और बकरियों को सेफ रखा जा सकता है. जब वैक्सीनेशन में लापरवाही बरती जाती है तो इस तरह की बीमारी का खतरा इन मवेशियों पर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.

आपको बताते चलें कि एक दिन पहले राजस्थान में पिंटू भाई नाम के बकरी पालक की 10 बकरियां इसी बीमारी की वजह से मर चुकी हैं. जबकि एक अन्य बकरी मरने की कगार पर है. इसके चलते बकरी पालक बहुत ही परेशान है. वहीं बीमारी का खतरा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है.

आंत में रहता है इसका बैक्टीरिया
बताते चलें कि फड़किया रोग भेड़ व बकरियों में होने वाली एक प्रमुख बीमारी है. यह बीमारी क्लोस्ट्रीडियम पर्फ्रिन्जेस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है. क्लोस्ट्रीडियम पर्फ्रिन्जेस टाइप डी द्वारा आंतो में पैदा हुए टॉक्सिन के आंतो में चले जाते हैं. इसको कंट्रोल करने के लिए एंटेरोटॉक्सेमिया वैक्सीन आवश्य लगवाना चाहिए. जिससे मवेशियों को बचाया जा सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि इसके बैक्टीरिया आमतौर पर आंत में रहते हैं. यह बीमारी हर उम्र, नस्ल तथा लिंग की भेड़ व बकरियों में मुख्य रूप से देखी जाती है. हरे चारे को ज्यादा मात्रा में खाने से पशु इस रोग से ग्रसित होते हैं.

बारिश के दिनों में रहता है ज्यादा खतरा
बारिश के दिनों में बहुत ज्यादा हरा चारा खाने की वजह से इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. यह बीमारी स्वस्थ भेड़ व बकरियों में मार्च-अप्रैल का महीना फसल कटाई का समय होता है. फसल काटते समय काफी अधिक मात्रा में चारा खेतों में गिरता है, साथ ही अन्न व दलहन इत्यादि भी खेतों में गिर जाते हैं. वहीं सरसों व चने की फसल कटाई के बाद ऐसे खेतों में भेड़–बकरियां चराते समय ज्यादा मात्रा में चारा खा लेती हैं और इस रोग से ग्रसित हो जाती हैं तथा कई बार आहार में अचानक परिवर्तन एवं अधिक प्रोटीन युक्त हरा चारा खा लेने से भी यह रोग तीव्रता से बढ़ता है.

वैक्सीन ही है एक मात्रा इलाज
इस वक्त इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है. क्योंकि हर जगह बारिश हो रही है. चारे में ज्यादा नमी है और भेड़ व बकरियां ज्यादा चारा खा लेती हैं. ऐसे में उन्हें ज्यादा चारा खाने से रोकना चाहिए. वहीं इस बीमारी से बचाने के लिए बकरियों को एंटेरोटॉक्सीमिया वैक्सीन 2 से 5 एमएल चमड़े में प्रतिवर्ष मई और जून में लगानी चाहिए. अगर पशुपालक मई और जून महीने में ये वैक्सीन लगवा लें तो फिर मवेशियों को बचा सकते हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

CIRB will double the meat production in buffaloes, know what is the research on which work is going on. livestockanimalnews animal Husbandry
पशुपालन

Animal News: पशु पालने वाले लोग इस महीने में ये 8 काम जरूर करें

पशु बीमार हो जाते हैं और इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़...

दुधारू पशुओं के बयाने के संकेत में सामान्यतया गर्भनाल या जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद हो जाता है.
पशुपालन

Animal Husbandry: गाभिन पशुओं की ऐसे करें देखभाल, जानें पानी कितना पिलाएं, आहार में क्या खिलाएं

पशुपालन निदेशालय ने गाभिन पशुओं के हर दिन आहार की जरूरत बताई...

वर्ष भर विभिन्न मौसमों में उच्च गुणवत्तायुक्त चारे की नियमित आपूर्ति तय करने के लिए साइलेज के रूप में हरे चारे का स्टोरेज बहुत अहम है.
पशुपालन

Green Fodder Silage: हे बनाने में किन किन सावधानियों की जरूरत, जानें यहां

वर्ष भर विभिन्न मौसमों में उच्च गुणवत्तायुक्त चारे की नियमित आपूर्ति तय...