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Sheep Farming: भेड़ का किस तरह रखना चाहिए ख्याल, बीमार है या स्वस्थ ऐसे करें मालूम

muzaffarnagari sheep weight
मुजफ्फरनगरी भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. अगर आप पशुपालन कर रहे हैं और भेड़ पालन चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है. भेड़ पालकों के लिए जरूरी है कि उन्हें पता हो कि भेड़ की देखभाल और उनके हेल्थ का कैसे ख्याल रखना चाहिए. यदि उनकी सही तरह से देखभाल नहीं हुई तो बीमारी लगने का खतरा बढ़ जाता है. इससे पशुपालक को नुकसान होता है. पशुपालक भेड़ फायदे के लिए पलता है लेकिन एक बार बीमारी लग जाने पर इससे नुकसान होता है. इसलिए जरूरी है कि भेड़ को बीमारी से कैसे बचाया जाए, इस बारे में पशुपालकों को जानकारी हो.

भेड़ अक्सर विभिन्न कीड़ों और परजीवियों से परेशान रहते हैं. भेड़ पालक अक्सर अपनी भेड़ को कीड़े निकलवाते हैं. वहीं कई दुकानों पर कीड़े निकालने के लिए कई तरह के उत्पाद गोलियां, स्प्रे और पेस्ट आदि मिलता है. हालांकि यहां पर सबसे पहले पशुपालक को पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए. इसके बाद अपनी भेड़ को साल में एक बार टीका जरूर लगवाना चाहिए. कुछ विशेष परिस्थिति में कई बार टीका लगवाना पड़ता है.

ये है बीमार रहने के संकेत
इसके अलावा इसमें नियमित रूप से अपनी भेड़ के साथ निरीक्षण भी करना चाहिए. दस्त भेड़ के रोग का सबसे सामान्य लक्षण है. झुंड से अलग रहना, दाना-पानी न खाना, आंखों में पानी रहना, पूरे दिन सोते रहना, खड़े न हो पाना भी इस बात का संकेत है कि आपकी भेड़ को कोई समस्या है. किसी भी परिस्थिति से बचने के लिए स्थानीय पशु चिकित्सा का कॉन्टैक्ट नंबर जरूर होना चाहिए. ताकि आप उनसे सलाह ले सकें. पशु चिकित्सा सामान्य तौर पर भेड़ का गुदा तापमान पूछते हैं. भेड़ का सामान्य शारीरिक तापमान 100.9 से 103.8 डिग्री फॉरेनहाइट रहता है.

भेड़ के खुरों और पूंछ देखते रहें
कई देशों में भेड़ पालक अक्सर सफाई संबंधी समस्याओं से बचने के लिए भेड़ की पूंछ काट देते हैं. क्योंकि लंबी पूंछ पर मक्खियों बैठ जाती हैं और जिसे संक्रमण बढ़ जाता है. हर दो सप्ताह पर उनके खुर की जांच करनी चाहिए लेकिन बकरियों की तुलना भेड़ के खुरों की बाढ़ कम होती है. बकरियों के खुद सामान्य हर 2 महीने में काटने पड़ते हैं. जबकि भेड़ के तीन से चार महीने पर काटे जाते हैं. हर एक साल में एक बार भेड़ के बाल काटे जाते हैं. यह अक्सर गर्मियों से पहले किया जाता है. कुछ विशेष भेड़ की नस्लों के लिए हर साल दो से तीन बार बाल काटने की जरूरत पड़ती है.

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