नई दिल्ली. पशुओं को हरे चारे की जरूरत होती है. जबकि देश में हरे चारे का संकट भी है. खासतौर पर गर्मी के सीजन में हरे चारे की कमी हो जाती है. तो ऐसे वक्त में समझदार किसान पशुओं को साइलेज खिलाते हैं. ताकि उन्हें तमाम पौष्टिक गुण मिल जाएं और इससे उत्पादन में कमी न हो. इसको देखते हुए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड एनडीडीबी की पहल पर सफल मटर के छिलकों से साइलेज उत्पादन की प्रक्रिया पर काम चल रहा है. इससे तैयार साइलेज से पशुओं की तमाम जरूरतें पूरी हो जाएंगी. इसका ऐलान एनडीडीबी द्वारा प्रबंधित Medha Dairy द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हुआ.
वहीं एनडीडीबी द्वारा प्रबंधित Medha Dairy द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कई उल्लेखनीय पहलें देखने को मिलीं. इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत ने दूध मूल्य अंतर के लिए प्रोत्साहन राशि के अंतर्गत तीन चयनित किसानों को चेक वितरित किए. साथ ही, पांच महिला दुग्ध उत्पादकों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु ‘मेधा लक्ष्मी पुरस्कार’ प्रदान किया गया, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है.
निगरानी के लिए जारी किया ऐप
कार्यक्रम के दौरान चार प्रमुख प्रोडक्ट और इनावेशन का लोकार्पण किया गया. इनमें मेधा रागी लड्डू शामिल था, जो एक पौष्टिक और टेस्टी उत्पाद है, विशेषकर बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए. इसके अतिरिक्त, मेधा सुधन जैविक खाद उत्पाद की शुरुआत की गई. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की बायोगैस और खाद पहल (Biogas and Manure Initiative) के तहत जकारीयापुरा मॉडल के तर्ज पर विकसित इस परियोजना के माध्यम से गोबर से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है. जिससे रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा मिल रहा है. mNDERP मोबाइल ऐप का लोकार्पण भी हुआ, जिसे एनडीडीबी के सहयोग से विकसित किया गया है. यह ऐप झारखंड मिल्क फेडरेशन के वितरकों को ऑर्डर, चालान, भुगतान और डिलीवरी की निगरानी में डिजिटल सुविधा प्रदान करता है और राज्य में डेयरी क्षेत्र के डिजिटल परिवर्तन का प्रतीक है.
190 समितियां कर रही हैं काम
साथ ही रांची स्थित Mother Dairy संयंत्र में मटर की फलियों से साइलेज उत्पादन की पायलट परियोजना सफल रही, जिसमें 53.76 मीट्रिक टन उत्पादन कर किसानों को उपलब्ध कराया गया. अब इस सफलता के आधार पर एनडीडीबी द्वारा 140 लाख रुपये की लागत से फल एवं सब्जी अपशिष्ट से साइलेज उत्पादन हेतु एक नया पायलट मॉडल स्वीकृत किया गया है. यह स्पष्ट किया गया कि यह नया साइलेज प्लांट एनडीडीबी द्वारा अनुमोदित है लेकिन इसका निर्माण रांची स्थित मदर डेयरी संयंत्र में किया जाएगा, जैसा कि उद्घाटन पट्टिका में भी उल्लेखित है. कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने आगामी वर्षों में झारखंड की डेयरी योजनाओं के व्यापक विस्तार, सहकारी समितियों के गठन और सशक्तिकरण, तथा दूध उत्पादकों को उद्यमी बनाने की दिशा में रूपरेखा प्रस्तुत की. वर्तमान में राज्य में 190 से अधिक सहकारी समितियां कार्यरत हैं, जिन्हें प्रशिक्षण देकर उनकी भागीदारी को और अधिक सुनिश्चित किया जाएगा.
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