नई दिल्ली. ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सख्त आदेश हैं कि शहर में तबेले संचालित नहीं किए जाएंगे. बावजूद इसके बड़े पैमाने पर तबेलों को संचालन हो रहा है. नगर निगम के अधिकारी पिछले एक वर्ष में 33 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा चुके हैं लेकिन समस्या का हल नहीं निकल पाया है. एनजीटी के आदेश के तहत नगर निगम की टीम शहर में लगातार अभियान चला रही है. पशुओं को यमुना नदी में जाने से रोकने के लिए अभियान चलाया गया था. अब यमुना नदी पर निगरानी के लिए न केवल सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं बल्कि निगम के कर्मचारी भी तैनात हैं, लेकिन शहर के अंदर चल रहे बाड़ों पर अंकुश नहीं लगा है. इनकी वजह से नाले, नालियां और सीवर चोक हो रहे हैं.
मानसून के सीजन में हालात ज्यादा खराब है. दरअसल मानसून के दिनों में गोबर का निस्तारण करना मुश्किल होता है. गोबर को नालियों, नालों और सीवर में बहाया जा रहा है. इससे नाले और सीवर चोक हो रहे हैं और शहर में जलभराव हो रहा है. नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में शहर में अभियान चला कर 33 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. 53.31 लाख रुपये जुर्माना किया था. इस वर्ष भी करीब 10.87 लाख रुपये जुर्माना वसूल किया गया है.
सदन से तय जुर्माने की दर से होती कार्रवाई
नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉक्टर अजय सिंह का कहना है कि नगर निगम लगातार कार्रवाई कर रहा है. नगर निगम सदन से पशुओं के लिए जुर्माना राशि तय की है. गाय पर 2200 रुपये (दो सौ रुपये प्रतिदिन की खुराक) भी शामिल है और भैंस पर 11 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना तय किया है. इसमें तीन हजार रुपये उसकी खुराक के शामिल हैं. इसी आधार पर कार्रवाई की जा रही है. जहां भी जानकारी मिलती है टीम वहां पहुंचकर कार्रवाई करती है.
डेयरी उद्योग के लिए जगह नहीं दे पाया प्रशासन
टीटीजेड अथारिटी की सिफारिश के आधार पर शहर में संचालित डेयरी उद्योग को बाहर करना था. इसके लिए पशु पालकों को जमीन उपलब्ध कराई जानी थी लेकिन प्रशासन अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं करा सका है. आगरा विकास प्राधिकरण ने बुढ़ाना में जमीन की व्यवस्था की थी लेकिन यहां पशु पालक जाना नहीं चाहते हैं. उनका कहना है कि एक तो वहां जमीन की दरें बहुत अधिक हैं. दूसरी उस स्थल से दूध का कारोबार करना औचित्यहीन हैं. छोटे पशु पालक वहां से गुजारा नहीं कर सकते हैं.
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