नई दिल्ली. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान को देश में देसी नस्ल थारपारकर गायों के पूरे देश में संरक्षण और नस्ल सुधार के लिए परियोजना के तहत लीड सेंटर की जिम्मेदारी दी गई. आईवीआरआई अब थारपारकर की नस्ल सुधार में अहम जिम्मेदारी निभाएगा. इसके लिये केन्द्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान मेरठ और आईवीआरआई के वैज्ञानिकों के बीच एआईसीआरपी की स्थापना और तकनीकी कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए बैठक की गयी है. बताते चलें कि थारपारकर नस्ल की गाय ज्यादा दूध देने के लिए मशहूर है और ये हर मौसम में बहुत ही अच्छी तरह से पल जाती है और दूध का उत्पादन करती रहती है.
आईवीआरआई के डायरेक्टर डा. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि संस्थान थारपारकर गायों के लीड जर्मप्लाज्म सेन्टर के रूप में कार्य करेगा. क्योंकि संस्थान के पास फार्म में उन्नत थारपारकर नस्ल के पशु उपलब्ध हैं. वहीं सीमेन उत्पादन व प्रोसेसिंग की आधुनिक सुविधा के साथ-साथ वैज्ञानिकों की कुशल टीम भी है. डॉ. दत्त ने बताया कि थारपारकार नस्ल को बढ़ाने के लिए ब्रीडिंग कार्यक्रम चलाये जायेंगे तथा ब्रीडिंग क्षेत्र को चयनित किया जायेगा.
5 हजार जर्म प्लाजमा डोज तैयार होगा
आईवीआरआई के फार्म में थारपारकार गायों की संख्या को बढ़ाया जायेगा और थारपारकर गायों के सीमेन को एस्कॉर्ट किया जायेगा. संस्थान में थारपारकर गायों के सीमेन की 5000 डोज जर्म प्लाज्म केन्द्र में तैयार की जायेगी. केन्द्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ के गोवंश आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि थारपारकर प्रोजेक्ट के लिए राजस्थान पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर तथा केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी), जोधपुर को डेटा रिकॉर्डिंग यूनिट तथा जर्म प्लाज्म यूनिट से सहयोग के लिए चिन्हित किया गया है. उन्होंने कहा कि आईवीआरआई सभी यूनिट के डाटा को इकट्ठा करेगा तथा लीड सेंटर के रूप में कार्य करेगा.
डिटेल रिपोर्ट भी पेश की गई
इस अवसर पर केंद्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान के डॉ. एके. दास ने भी अपने विचार रखे. वहीं इससे पहले कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत करते हुए आईवीआरआई के गाय और भैंस प्रक्षेत्र के प्रभारी डॉ. अनुज चौहान ने संस्थान में थारपारकर गायों के सम्बन्ध में डिटेल रिपोर्ट पेश की. कार्यक्रम का संचालन पीएमई सेल के प्रभारी डा. समीर श्रीवास्तव द्वारा किया गया. जबकि धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन अनुभाग के डा. अयोन तरफदार द्वारा किया गया. इस अवसर पर संयुक्त निदेशक शोध डा. एसके सिंह सहित संस्थान के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे.
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