नई दिल्ली. मछली उत्पादन के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. सरकार की कोशिश है कि मछली पालन को और ज्यादा बढ़ावा दिया जाए और साथ ही इसे मछली पालकों के लिए फायदेमंद बनाया जाए. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस सेक्टर में आगे आएं और खुद की आजीविका चलाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर को भी पैदा करें. यही वजह है कि सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ऐसी कई पहल की है, जिसका फायदा फिशरीज सेक्टर को हुआ है. उत्पादन के साथ-साथ फायदा भी बढ़ा है.
सरकार की ओर से फिशिंग हारबर्स और फिश लैंडिंग सेन्टर्स (एफएलसी) द्वारा इनफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान दिया गया है. वहीं मछली उत्पादन बढ़ाने और इसे फायदेमंद बनाने के नई टेक्नोलॉजी को अपनाया गया है. इसके अलावा उत्पादन बढ़ाने के लिए सैकड़ों एकड़ तालाबों को भी मंजूरी दी गई. आइए जानते हैं सरकार ने क्या-क्या किया है.
एफएच-एफएलसी इनफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर दिया जोर
फिशिंग हारबर्स (FH) और फिश लेंडिंग सेन्टर्स (FLC) फिशिंग वेसल्स के लिए सुरक्षित लैंडिंग, बर्थिंग, लोडिंग और अनलोडिंग सुविधाएं प्रदान करते हैं. आधुनिक फिशिंग हारबर्स और फिश लैंडिंग सेन्टर्स (एफएलसी) का विकास पोस्ट हार्वेस्ट संचालन के लिए महत्वपूर्ण है. पिछले 10 वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने 9532.30 करोड़ रुपये की कुल लागत से 66 एफएच और 50 एफएलसी के निर्माण व आधुनिकीकरण के लिए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी है.
टेक्नोलॉजी को लोकप्रिय बनाया
पीएमएमएसवाई के तहत, बायोफ्लोक और रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), पेन और केज कल्चर जैसी कुशल और गहन कृषि तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया गया है. इन तकनीकों का उद्देश्य प्रोडक्शन और प्रोडक्टिविटी को बढ़ाते हुए उत्पादन की लागत को कम करना है. पिछले 4 वर्षों के दौरान, कुल 52,058 जलाशय केज, 12,081 रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), 4,205 बायोफ्लोक इकाइयां, 1,525 ओपेन सी केज और जलाशयों में 543.7 हेक्टेयर पेन को मंजूरी दी गई है.
तालाबों को दी गई मंजूरी
भूमि से घिरे क्षेत्रों में जलीय कृषि करना पहले मुमकिन नहीं था, लेकिन मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और कार्यक्रमों ने मछली पालकों को मत्स्य पालन को अपने प्राथमिक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है. इसके लिए, आईलैंड जलीय कृषि के लिए 23,285.06 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, ‘बंजर भूमि को संपदा भूमि में बदलने’ के लिए लवणीय-क्षारीय के तहत 3,159.39 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, मीठे पानी के बायोफ्लोक तालाब में पालन के लिए 3,882 हेक्टेयर क्षेत्र, खारे पानी के जलीय कृषि के तहत 1,580.86 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र को मंजूरी दी गई.
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