नई दिल्ली. पशुपालन करके दूध बेचकर कमाई करना एक बेहद ही मुनाफे का सौदा है. सरकार भी चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा किसान इस क्षेत्र से जुड़कर अपनी आय को दोगुना करें. यही वजह है कि ही सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है ताकि किसान पशुपालक में हाथ अजमाएं. वहीं बहुत से किसान सरकार की मदद से पशुपालन करने भी लगे हैं, जिससे उनकी आय में इजाफा हुआ है. हालांकि पशुपालन में कई चुनौतियां भी हैं, जिनसे निपटने के बाद ही असली फायदा किसानों को होता है.
वहीं किसानों के लिए सरकार की ओर से डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जाता है. एनपीडीडी योजना का उद्देश्य दूध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि करना और संगठित दुग्ध खरीद की हिस्सेदारी बढ़ाना है. योजना के दो अंग है. एनपीडीडी के तहत, केंद्र और राज्य का फंड शेयरिंग पैटर्न निम्नानुसार है. एक्सपर्ट का कहना है कि इन दोनों अंगो के जरिए किसानों को पशुपालन के क्षेत्र में ज्यादा बढ़ावा देने का काम किया जा रह है. ताकि किसान अपनी आय को दोगुनी कर सकें.
पांच साल के लिए योजना लागू
घटक ‘ए’ राज्य सहकारी डेयरी संघों, जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ/एसएचजी द्वारा संचालित निजी डेयरी/दुग्ध उत्पादक कंपनियों/किसान उत्पादक संगठनों के लिए गुणवत्तापूर्ण दूध परीक्षण उपकरणों के साथ-साथ प्राथमिक शीतलन सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण को मजबूती पर केंद्रित है. यह योजना 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्ष की अवधि के लिए पूरे देश में लागू की गई है.
संस्थानों की क्षमता का निर्माण करना है
घटक ‘बी’ (डेयरिंग थ्रू कोऑपरेटिव्स) जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के साथ पहले से हस्ताक्षरित परियोजना समझौते के अनुसार वित्तीय सहायता प्रदान करता है. यह एक बाहरी सहायता प्राप्त परियोजना है, जिसे 2021-22 से 2025-26 की अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार में पायलट आधार पर लागू करने की परिकल्पना की गई है. जिसका उद्देश्य डेयरी बुनियादी ढांचे का निर्माण करना और उत्पाद के लिए गांवों में और गांव से लेकर राज्य स्तर तक बाजार लिंकेज प्रदान करना तथा स्टेक-होल्डिंग संस्थानों की क्षमता निर्माण को मजबूत करना है.
पशुपालकों का क्या है फायदा
दावा किया जा रहा है कि इस योजना से पशुपालक को फायदा मिल रहा है. पशुपालकों से हासिल दूध को हासिल करके आम जनता तक पहुंचाने का काम किया जाता है. इससे सीधे तौर पर किसानों को फायदा पहुंचा रहा है. क्योंकि किसानों को उनके दूध का दाम न मिल पाना भी एक समस्या है. इसके जरिए अब किसानों से दूध लिया जाता है और उनका उसका वाजिब दाम भी मिल रहा है.
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