Home पशुपालन Green Fodder: सालभर मिलता है ये हरा चारा, पशुओं की हेल्थ के साथ उत्पादन के लिए भी है फायदेमंद
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Green Fodder: सालभर मिलता है ये हरा चारा, पशुओं की हेल्थ के साथ उत्पादन के लिए भी है फायदेमंद

गर्मी और बरसात के मौसम में उगाई जाने वाली यह एक महत्त्वपूर्ण अनाज वाली चारा फसल है. ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर, ज्वार को देश के सभी हिस्सों में उगाया जाता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुओं से अच्छा उत्पादन लेने के लिए जरूरी है कि उनके खान-पान का पशुपालक ध्यान रखें. क्योंकि पशु जब अच्छा खाएंगे तभी उनका उत्पादन भी अच्छा होगा. जिससे पशुपालक को फायदा होना लाजमी है. पशुओं से व्यवसाय तभी सूदमंद साबित होगा, जब पशु हेल्दी होंगे और उत्पादन बेहतर करेंगे. ऐसे में पशुपालकों को ऐसे चारे को उगाना चाहिए जो एक बार खेती करके कई वर्ष तक काटा जा सकता है और पशुओं को आसानी से खिलाया जा सकता है. इसके साथ-साथ पशु भी उसे चाव से खाते हों. आइए उसके बारे में जानते हैं.

उत्पादन और हेल्थ के लिए है अच्छी
नेपियर घास किसान और पशुपालकों के बीच काफी लोकप्रिय घास है. यह पशुओं के लिए सबसे बेहतर चारा माना जाता है. ​नेपियर घास ज्यादा पौष्टिक और उत्पादक होती है. इस घास के सेवन से पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. पशुपालक अपनी गाय-भैंस को हरे चारे के रूप में हरी भरी घास देने की सलाह दी जाती है. हरी घास में हाथी घास के नाम से मशहूर नेपियर घास पशुओं के लिए काफी अच्छी मानी जाती है.

इस तरह करें इसकी खेती
हाथी घास की खेती किसान किसी भी मौसम में कर सकते हैं. इस घास को बोने के लिए इसके डंठल को काम में लिया जाता है. जिसे नेपियर स्टिक भी कहा जाता है. डंठल को खेत में डेढ़ से 2 फीट की दूरी पर रोपा जाता है. वहीं एक बीघा में 8 हजार डंठल की आवश्यकता होती है. इस घास के डंठल को जुलाई से अक्टूबर और फरवरी में बोना चाहिए. वहीं इसके बीज नहीं होते हैं, साथ ही इसकी खेती के लिए उच्च जल निकास वाली मटियार और बलुई दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है.

20 टन से ज्यादा होती है उपज
एक बार बुवाई करने के बाद यह लगातार 4 से 5 सालों तक काटी जाने वाली ये घास है. हर 2 से 3 महीने में घास की ऊंचाई 15 फिट हो जाती है. नेपियर घास को बार-बार निराई गुड़ाई या रासायनिक खाद और कीटनाशकों की भी जरूरत नहीं होती है. यह बेहद कम खर्चे में तैयार होने वाली है. इस घास से हर 3 महीने में एक बीघा में कटाई से किसान 20 टन से ज्यादा उपज हासिल कर सकते हैं.

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